उत्तराखंड में जारी मानसूनी बारिश के बीच चारधाम यात्रा एक बार फिर संकट में आ गई है। बीते तीन दिनों से यमुनोत्री हाईवे पूरी तरह से बाधित है, जिससे हजारों श्रद्धालु मार्ग में ही फंसे हुए हैं। फिलहाल प्रशासन और स्थानीय लोग राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हुए हैं, लेकिन कठिन मौसम और भू-स्खलन के कारण रेस्क्यू कार्यों में दिक्कतें आ रही हैं।
यमुनोत्री हाईवे पर भारी नुकसान
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलाई बैंड और ओजरी के पास भू-स्खलन की वजह से सड़क का बड़ा हिस्सा बह गया है। इस कारण यह मार्ग तीन दिनों से पूरी तरह बंद पड़ा है। वहीं स्याना चट्टी के पास यमुना नदी पर बनी झील की स्थिति भी जस की तस बनी हुई है, जिससे खतरे की स्थिति बनी हुई है।
हजारों श्रद्धालु इन मार्गों में फंसे हैं, और अब तक प्रशासन की ओर से कोई वरिष्ठ अधिकारी मौके पर नहीं पहुंच पाया है। हालांकि, राहत की बात यह है कि स्थानीय लोगों और यात्रा प्रबंधकों ने फंसे हुए यात्रियों के लिए निःशुल्क ठहरने और भोजन की व्यवस्था शुरू कर दी है। यह मानवीय प्रयास श्रद्धालुओं के लिए बहुत बड़ी राहत साबित हो रहे हैं।
गंगोत्री धाम के लिए यात्रा जारी
गंगोत्री धाम की यात्रा सुचारु रूप से चल रही है। यह मार्ग पूरी तरह से खुला है और यात्री बिना किसी विशेष रुकावट के गंगोत्री धाम पहुंच पा रहे हैं। शासन और प्रशासन इस रूट पर विशेष निगरानी बनाए हुए है।
चारधाम यात्रा पर से हटाई गई अस्थाई रोक
भारी बारिश के रेड अलर्ट के कारण प्रदेश सरकार ने रविवार को चारधाम यात्रा पर अस्थाई रोक लगाई थी। यह रोक सोमवार सुबह हटा ली गई है। सरकार ने सभी जिलों के डीएम को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों की मौसम की स्थिति के अनुसार यात्रा को लेकर निर्णय लें। यानी, अगर मौसम खराब हो तो स्थानीय प्रशासन यात्रा रोक सकता है।
गढ़वाल मंडल के आयुक्त विनय शंकर पांडे ने जानकारी दी कि सरकार श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर बेहद गंभीर है और चौबीसों घंटे स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
हेमकुंड साहिब और अन्य धामों में दर्शन जारी
चारधाम यात्रा प्रबंधन एवं नियंत्रण संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को चारधाम और हेमकुंड साहिब में कुल 19,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। इसके अतिरिक्त, 2,684 श्रद्धालुओं ने ऑफलाइन माध्यम से यात्रा के लिए पंजीकरण कराया। यह दर्शाता है कि यात्रा में श्रद्धालुओं की रुचि बनी हुई है, लेकिन खराब मौसम एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
स्थानीय लोगों की भूमिका बनी मिसाल
प्रशासन की पहुंच से पहले स्थानीय लोगों और समाजसेवी संस्थाओं ने यात्रा मार्गों पर फंसे यात्रियों की सहायता शुरू कर दी। निःशुल्क लंगर, विश्राम की व्यवस्था और जरूरी प्राथमिक चिकित्सा जैसी सेवाएं बिना किसी सरकारी सहायता के दी जा रही हैं। यह दर्शाता है कि उत्तराखंड में आम लोग आपदा की घड़ी में किस तरह मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं।
प्रशासन की चुनौती और सतर्कता
प्रशासन की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि दुर्गम पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश और लैंडस्लाइडिंग के चलते रास्तों को साफ करना मुश्किल हो रहा है। साथ ही, यमुनोत्री मार्ग पर बना जलाशय एक और चिंता का कारण है, क्योंकि नदी का जलस्तर अगर अचानक बढ़ता है तो उससे नीचे बसे इलाकों को खतरा हो सकता है।
राज्य सरकार ने BRO (सीमा सड़क संगठन) और आपदा प्रबंधन टीमों को हाई अलर्ट पर रखा है। प्रयास जारी हैं कि बंद पड़े मार्गों को जल्द से जल्द बहाल किया जा सके।
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निष्कर्ष
फिलहाल, चारधाम यात्रा आंशिक रूप से सुचारु है। गंगोत्री धाम और अन्य स्थलों पर दर्शन जारी हैं, लेकिन यमुनोत्री मार्ग अभी भी गंभीर रूप से बाधित है। यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि वे मौसम की स्थिति और प्रशासनिक दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए ही यात्रा की योजना बनाएं।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि है, और स्थानीय लोग तथा राहत दल इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में पूरी निष्ठा से जुटे हैं। प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि वह जल्द ही हाईवे
को बहाल कर यात्रा को सामान्य बना सके।