हिमालय दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालय, जल और जंगल के संरक्षण की दिशा में एकजुट होकर कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमें यह विचार करना होगा कि आने वाली पीढ़ियों को हम कैसी धरोहर सौंप रहे हैं। इस महत्वपूर्ण दिन पर, मुख्यमंत्री ने हिमालय के संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और एक कमेटी के गठन की घोषणा की, जिसका संयोजन यूकॉस्ट के महानिदेशक दुर्गेश पंत करेंगे।
मुख्यमंत्री आवास में आयोजित इस कार्यक्रम में हिमालय के संरक्षण के लिए काम कर रहे सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने राज्य स्तरीय पांचवें देहरादून अंतरराष्ट्रीय साइंस एंड टेक्नोलॉजी फेस्टिवल के पोस्टर का भी विमोचन किया। यह महोत्सव देहरादून, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, बागेश्वर और पिथौरागढ़ के इंजीनियरिंग कॉलेजों में आयोजित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री धामी ने बुग्यालों के संरक्षण पर विशेष ध्यान देने की बात कही और घोषणा की कि हर साल 2 सितंबर को ‘बुग्याल संरक्षण दिवस’ मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती तेजी से बढ़ रही है, और इस वर्ष देहरादून में तापमान में असामान्य वृद्धि इसका प्रमाण है। यदि इसे रोकने के प्रयास नहीं किए गए, तो भविष्य में गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल स्रोतों और नदियों के पुनर्जीवन के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है। इसके लिए विशेष रूप से ‘स्प्रिंग एंड रिवर रीजूवनेशन अथॉरिटी’ का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि हिमालय हमारे लिए एक अनमोल धरोहर है और इसे बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
उत्तराखंड सरकार इकोलॉजी और इकॉनमी के संतुलन पर जोर देते हुए विकास कार्य कर रही है। राज्य में शुरू किए गए ‘ग्रोस एनवायरनमेंटल प्रोडक्ट’ (GEP) के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक नई पहल की गई है। पौधरोपण, जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, लेकिन इन प्रयासों में जनता की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। जनसहभागिता के बिना इन प्रयासों की सफलता अधूरी रह जाएगी।