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उत्तराखंड में सड़क निर्माण की दिशा में एक बड़ी तकनीकी प्रगति देखने को मिल रही है। पुरानी सड़कों को रिसाइकल कर नई सड़कें बनाने की इस तकनीक से न केवल पर्यावरण संरक्षण को बल मिल रहा है, बल्कि बजट में भी 30% की बचत हो रही है। पहली बार डोईवाला क्षेत्र में लोक निर्माण विभाग ने इस नई तकनीक का इस्तेमाल किया है। इस परियोजना के तहत 9.6 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण 1.77 करोड़ रुपये में किया जा रहा है, जबकि पारंपरिक तरीके से इसे बनाने में 2.25 करोड़ रुपये खर्च होते। 

 

सड़क निर्माण में मिलिंग मशीन की यह तकनीक पुराने सड़क के मटेरियल को उखाड़कर दोबारा उपयोग में लाती है। इस प्रक्रिया से सड़कों की ऊंचाई भी नहीं बढ़ती और वे अपने पुराने स्तर पर ही रहती हैं। पुरानी चिकनाई वाली परत हटने से नई सड़कें और भी मजबूत हो जाती हैं। लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता एसएस नेगी के अनुसार, इस परियोजना के माध्यम से तीन हजार से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा।

डोईवाला डिवीजन में पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए मिल बाजार से छदम्मीवाला और खैरी तक की सड़क बनाई जा रही है। इस परियोजना की कुल लागत 1.77 करोड़ रुपये है, जिससे विभाग को लगभग 48 लाख रुपये की बचत हो रही है। यदि यह तकनीक कारगर साबित होती है, तो भविष्य में राज्य में अन्य सड़कों के निर्माण में भी इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाएगा, जिससे राज्य का बजट और भी कम हो सकता है।

मिलिंग मशीन की तकनीक क्या है?

मिलिंग मशीन एक अत्याधुनिक उपकरण है, जिसे सड़कों की ऊपरी परत को हटाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह मशीन मौजूदा फुटपाथ या सड़क की ऊपरी परत को उखाड़कर उसे दोबारा रिसाइकल करने के लिए तैयार करती है। इस प्रक्रिया में पुराने डामर और मटेरियल को पुनः उपयोग में लाया जाता है, जिससे नई सड़क के निर्माण में खर्च कम होता है और पर्यावरणीय लाभ भी मिलता है।

 

मिलिंग मशीन से बनी सड़कें ज्यादा मजबूत होती हैं क्योंकि पुरानी चिकनाई वाली सतह हट जाती है, जिससे नई डामर परत अच्छे से चिपक जाती है। यह तकनीक भविष्य में सड़क निर्माण के लिए एक सस्ती और प्रभावी विकल्प साबित हो सकती है।

 

**पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ:**

इस तकनीक के इस्तेमाल से पर्यावरण को भी कम नुकसान होता है, क्योंकि पुराने मटेरियल को दोबारा उपयोग में लाया जाता है, जिससे कचरा कम होता है और निर्माण के लिए नए संसाधनों की आवश्यकता भी घटती है। साथ ही बजट में कमी के चलते बचे हुए पैसे का इस्तेमाल अन्य विकास कार्यों में किया जा सकता है, जिससे राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष:

उत्तराखंड में सड़कों के निर्माण में इस नई तकनीक से न केवल बजट की बचत हो रही है, बल्कि सड़कों की गुणवत्ता में भी सुधार देखा जा रहा है। यह पहल न केवल राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करेगी, बल्कि विकास कार्यों की गति को भी बढ़ाएगी।

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