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उत्तराखंड में भारत-चीन (तिब्बत) सीमा को जोड़ने वाला ज्योतिर्मठ-मलारी हाईवे पर तीन दिन से आवागमन पूरी तरह ठप है। शुक्रवार सुबह लाता गांव के पास भूस्खलन से मार्ग अवरुद्ध हो गया, जिसके बाद से स्थिति जस की तस बनी हुई है। लगातार मलबा गिरने के कारण हाईवे को खोलने के प्रयास बार-बार विफल हो रहे हैं।

 

इस भूस्खलन के कारण सीमांत क्षेत्रों के एक दर्जन से अधिक गांवों का संपर्क टूट गया है, जिससे न सिर्फ ग्रामीणों को, बल्कि सेना और आईटीबीपी के जवानों को भी आवाजाही में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मलबा हटाने के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा लगातार जेसीबी और अन्य मशीनरी का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन पहाड़ी से लगातार गिरते पत्थर और मलबा काम में बाधा डाल रहे हैं।

 

स्थानीय निवासी लक्ष्मण सिंह बुटोला के अनुसार, बार-बार हो रहे भूस्खलन के कारण मार्ग को खोलने में काफी दिक्कत आ रही है। ग्रामीण आवश्यक कार्यों के लिए ज्योतिर्मठ और अन्य स्थानों पर नहीं जा पा रहे हैं, जिससे उनकी परेशानियां बढ़ गई हैं। बीआरओ के अधिकारी लगातार मार्ग को खोलने के प्रयास में जुटे हुए हैं, लेकिन स्लाइड जोन के सक्रिय होने के चलते समस्या हल नहीं हो पा रही है।

 

तीन दिनों से बंद इस महत्वपूर्ण मार्ग के जल्द खुलने की उम्मीद के बावजूद, क्षेत्र में स्थिति गंभीर बनी हुई है।

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