देहरादून: राजधानी में साइबर ठगों ने अलग-अलग तरीकों से चार लोगों को निशाना बनाकर कुल 2.51 करोड़ रुपये की ठगी कर ली। इनमें दो वरिष्ठ नागरिकों को ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ का डर दिखाकर, एक को फेसबुक फ्रेंड के ज़रिए और एक को निवेश के झांसे में फंसाकर ठगा गया। सभी मामलों में साइबर क्राइम थानों में एफआईआर दर्ज की गई है और जांच जारी है।
1. वरिष्ठ दंपती से 1.45 करोड़ की ठगी
हरिद्वार के कनखल क्षेत्र में रहने वाले 78 वर्षीय रिटायर्ड इंजीनियर और उनकी बीमार पत्नी को एक फर्जी कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी बताया और कहा कि उनके खाते में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत 6 करोड़ रुपये आए हैं। डर के मारे दंपती ने अपनी एफडी और खाते की जानकारी साझा कर दी, जिससे आरोपियों ने 1.45 करोड़ रुपये निकलवा लिए। वादा किया गया था कि पैसा 48 घंटे में लौटाया जाएगा, जो वापस नहीं आया।
2. मनी लॉन्ड्रिंग के नाम पर 21 लाख की ठगी
रुड़की निवासी एक और वरिष्ठ नागरिक सत्यबीर सिंह को वीडियो कॉल पर बताया गया कि उनके नाम से एक फर्जी खाता खुला है और वे जांच के दायरे में हैं। उनसे पेंशन लोन लेकर बैंक खातों से 21.30 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए गए।
3. फेसबुक फ्रेंड से गिफ्ट के नाम पर 29 लाख की ठगी
पटेलनगर निवासी लखी राम को एक महिला ने फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और खुद को विदेशी कंपनी की मैनेजर बताया। महिला ने जन्मदिन पर गिफ्ट भेजने की बात कहकर पहले डिलीवरी चार्ज फिर अन्य शुल्कों के नाम पर लाखों रुपये मंगवाए। जब लखी राम ने साइबर हेल्पलाइन सर्च की, तो एक फर्जी नंबर मिला और उस पर कॉल करने पर उनसे और 5 लाख रुपये ठग लिए गए। कुल 29 लाख की ठगी हुई।
4. फर्जी निवेश योजना में 61 लाख गंवाए
रुड़की के मुनेश कुमार ने फेसबुक पर एक वीडियो देखा जिसमें वित्त मंत्री का नाम इस्तेमाल कर निवेश पर भारी रिटर्न का दावा किया गया था। उन्होंने रजिस्ट्रेशन किया और ‘क्रिप्टो प्रो मार्केट’ नाम की संस्था के कहने पर धीरे-धीरे 61.21 लाख रुपये निवेश कर दिए, लेकिन उन्हें कोई लाभ नहीं मिला।
पुलिस की चेतावनी
सभी मामलों में केस दर्ज कर लिए गए हैं। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे किसी अनजान कॉल, वीडियो कॉल, लिंक या सोशल मीडिया फ्रेंड पर भरोसा न करें। किसी भी लालच या डर में आकर बैंक जानकारी या पैसे साझा न करें।
साइबर ठगी की शिकायत करने के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर: 1930 या वेबसाइट: www.cybercrime.gov.in पर संपर्क करें।
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