उत्तराखंड के सहसपुर इलाके में ज़मीन की खरीद-फरोख्त को लेकर पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत एक बार फिर विवादों में हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में हरक सिंह, उनकी पत्नी दीप्ति रावत, और तीन अन्य के खिलाफ पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) अदालत, देहरादून में अभियोजन शिकायत दाखिल की है।
चार्जशीट में जिन नामों का ज़िक्र है, उनमें बीरेंद्र सिंह कंडारी, लक्ष्मी राणा, और पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट शामिल हैं। ईडी ने इन सभी को नोटिस भेजकर अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है।
करोड़ों की ज़मीन बेहद कम कीमत में खरीदी गई
ईडी की जांच के मुताबिक, सहसपुर थाने में दर्ज एक FIR के आधार पर यह मामला शुरू हुआ। रिपोर्ट में बताया गया है कि दीप्ति रावत, लक्ष्मी राणा और अन्य लोगों ने साजिश रचते हुए करोड़ों रुपये की ज़मीन को बाजार दर और सर्किल रेट से भी कम दामों में अपने नाम करवाया।
जांच में यह भी सामने आया कि न्यायालय के निर्देशों को नजरअंदाज करते हुए, स्व. सुशीला रानी की ओर से दी गई पावर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल कर बीरेंद्र कंडारी ने यह ज़मीन दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा को ट्रांसफर की। यह संपत्ति अब दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (DIMES) का हिस्सा है, जो पूर्णा देवी ट्रस्ट के अंतर्गत आता है – एक ट्रस्ट जिसे हरक सिंह रावत और उनके करीबियों द्वारा संचालित किया जा रहा है।
ईडी ने 101 बीघा ज़मीन अटैच की
जनवरी 2025 में प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब 101 बीघा भूमि को अटैच किया था। यह ज़मीन पहले महज़ 6.56 करोड़ रुपये में खरीदी गई थी, जबकि उसकी वर्तमान कीमत 70 करोड़ रुपये से भी ज्यादा आंकी गई है।
सभी आरोपितों को कोर्ट में पेश होने के निर्देश
ईडी के वकील यदुवीर सिंह हांडा ने बताया कि सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश होकर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया गया है। इस केस में पहले ही कई बार पूछताछ की जा चुकी है और अब कानूनी शिकंजा और कसा जा रहा है।
यह मामला राजनीतिक रूप से भी काफी अहम है, क्योंकि हरक सिंह रावत उत्तराखंड की राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम रहे हैं — और अब उन पर लगे ये गंभीर आरोप राज्य की सियासत में बड़ा तूफ़ान ला सकते हैं।