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Dehradun Uttarakhand : स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और महाराष्ट्र की क्राइम ब्रांच ने एक संयुक्त अभियान में बड़ी सफलता हासिल करते हुए देहरादून से अवैध हथियारों के एक कुख्यात सौदागर को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किया गया व्यक्ति कामरान अहमद है, जो लंबे समय से अवैध हथियारों की सप्लाई में लिप्त था और खासकर वन्यजीव तस्करों को हथियार बेचता था। ये हथियार अक्सर अवैध शिकार के लिए उपयोग किए जाते थे।

 

कैसे हुआ खुलासा?

 

मामले की शुरुआत महाराष्ट्र में हुई, जहां हाल ही में क्राइम ब्रांच ने दो वन्यजीव तस्करों को गिरफ्तार किया था। पूछताछ के दौरान उन तस्करों ने यह खुलासा किया कि उन्हें हथियार उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से मिले थे। इन हथियारों की सप्लाई एक व्यक्ति कामरान अहमद करता था। इस इनपुट के आधार पर महाराष्ट्र पुलिस ने उत्तराखंड एसटीएफ से संपर्क किया और एक संयुक्त जांच शुरू की गई।

 

जांच में यह भी सामने आया कि कामरान पहले भी हथियारों की तस्करी में गिरफ्तार हो चुका है। वर्ष 2022 में दिल्ली के प्रतापगंज इंडस्ट्रियल एरिया में पुलिस ने उसे करीब 2000 अवैध कारतूसों के साथ पकड़ा था। लेकिन जेल से छूटने के बाद भी उसने अपनी गतिविधियां बंद नहीं की थीं और दोबारा इसी गैरकानूनी धंधे में सक्रिय हो गया था।

 

कहां से और कैसे पकड़ा गया?

 

गुरुवार को एसटीएफ और महाराष्ट्र क्राइम ब्रांच की टीम ने देहरादून के क्लेमेनटाउन क्षेत्र में एक गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी की। यह छापा केशवकुंज इलाके में डाला गया, जहां कामरान मौजूदा समय में रह रहा था। छापेमारी के दौरान पुलिस को उसके पास से बड़ी संख्या में अवैध हथियार बरामद हुए। इन हथियारों में पिस्तौलें, रिवॉल्वर, कारतूस और कुछ हथियारों के पुर्जे शामिल हैं।

 

कामरान मूल रूप से दिल्ली के यमुना विहार इलाके का निवासी है। वह लंबे समय से क्लेमेनटाउन में रहकर अपनी तस्करी की गतिविधियां चला रहा था, ताकि पुलिस की नजर से बच सके।

 

पूछताछ में और भी बड़े खुलासे की उम्मीद

 

एसटीएफ प्रमुख एसएसपी नवनीत भुल्लर ने जानकारी दी कि आरोपी से लगातार पूछताछ की जा रही है। पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि कामरान का नेटवर्क कितनी दूर तक फैला है और किन-किन राज्यों में उसने हथियारों की सप्लाई की है। साथ ही यह भी पता लगाने की कोशिश हो रही है कि कौन-कौन लोग इस नेटवर्क का हिस्सा हैं।

 

अब तक की जांच में यह संकेत मिला है कि कामरान केवल वन्यजीव तस्करों को ही नहीं, बल्कि अन्य अपराधियों को भी हथियार उपलब्ध कराता था। हो सकता है कि उसके संपर्क कुछ माफिया गिरोहों या संगठित अपराध से जुड़े लोगों से भी रहे हों। यही वजह है कि पुलिस हर एंगल से जांच कर रही है।

 

वन्यजीव संरक्षण पर बड़ा खतरा

 

कामरान जैसे हथियार तस्करों की वजह से वन्यजीवों के शिकार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। भारत में कई जानवर, जैसे कि तेंदुआ, काले हिरण, हाथी आदि पहले से ही संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल हैं। अवैध शिकार और हथियारों की आसान उपलब्धता के कारण वन्यजीवों की सुरक्षा को गंभीर खतरा बना हुआ है। ऐसे में कामरान की गिरफ्तारी वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।

 

आगे की कार्रवाई

 

फिलहाल आरोपी को पुलिस हिरासत में रखा गया है। उसके मोबाइल फोन, दस्तावेज और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की भी जांच की जा रही है ताकि इस नेटवर्क के सभी छोरों तक पहुंचा जा सके। पुलिस को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

 

इस संयुक्त कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि राज्य और केंद्र स्तर की एजेंसियां मिलकर जब काम करती हैं तो ऐसे खतरनाक नेटवर्क भी तोड़े जा सकते हैं। कामरान की गिरफ्तारी न केवल देहरादून बल्कि देशभर में अवैध हथियारों की सप्लाई चेन को तोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

 

 

 

निष्कर्ष:

देहरादून में हुई यह गिरफ्तारी दर्शाती है कि अवैध हथियारों का व्यापार आज भी हमारे देश की आंतरिक सुरक्षा और वन्यजीव संरक्षण दोनों के लिए गंभीर चुनौती बना हुआ है। इस केस में आगे की जांच से और भी

चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।

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