दिल्ली के विधानसभा चुनाव इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए बेहद अहम थे। पिछले वर्ष अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर आतिशी को कमान सौंप दी थी, और भाजपा ने इस बार चुनाव प्रचार में जोरदार तरीके से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। आम आदमी पार्टी पर घोटालों के गंभीर आरोप लगे, और जिन मुद्दों पर पार्टी ने खुद को स्थापित किया था, उन्हीं पर भाजपा ने हमला बोल दिया। आइए जानते हैं उन कारणों को, जिन्होंने भाजपा को आप के खिलाफ मजबूती दी और उन्हें दिल्ली में जीत के कगार तक पहुंचाया।
1. **बड़े नेताओं का जेल जाना**
आम आदमी पार्टी ने लगातार तीन बार दिल्ली में सत्ता हासिल की थी और केजरीवाल की लोकलुभावन नीतियों के कारण उनकी सरकार को समर्थन मिलता रहा। हालांकि, इस चुनाव से पहले केजरीवाल सहित पार्टी के कई बड़े नेता भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल गए। मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और संजय सिंह की गिरफ्तारी ने पार्टी को एक गंभीर चुनौती दी। इस स्थिति में आम आदमी पार्टी का भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी ही छवि पर सवाल उठना बड़ा टर्निंग पॉइंट बना।
2. **मुफ्त की योजनाओं का जादू और भाजपा की समान रणनीति**
दिल्ली में मुफ्त बिजली, पानी जैसी योजनाओं के कारण आम आदमी पार्टी को जबरदस्त समर्थन मिला। भाजपा ने भी मुफ्त रेवड़ियों के खिलाफ अपना मोर्चा खोलते हुए आम आदमी पार्टी की योजनाओं को आलोचना का निशाना बनाया। चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने भी अपनी चुनावी घोषणाओं में महिलाओं, बच्चों और युवाओं के लिए बड़े वादे किए, जिससे आम आदमी पार्टी की स्थिति कमजोर हुई। साथ ही कांग्रेस ने भी अपनी योजनाओं से चुनावी समीकरण को चुनौती दी।
3. **शीशमहल विवाद और भाजपा का आक्रामक रुख**
भाजपा ने अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री आवास को आलीशान तरीके से बनाने और उस पर खर्च हुए करोड़ों रुपये का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया। इस मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस ने केजरीवाल को घेरा, और कई बार यह मुद्दा संसद तक पहुंचा। इस विवाद ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ माहौल बनाने में मदद की।
4. **यमुना की सफाई, सड़कें और जलभराव के मुद्दे**
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में यमुना की सफाई और खस्ताहाल सड़कें बनाने का वादा किया था, लेकिन इन मुद्दों पर पार्टी ने सफलता नहीं प्राप्त की। इस बार चुनाव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केजरीवाल को चुनौती दी, और दिल्ली की जनता ने इस मुद्दे पर पार्टी से जवाब मांगा। बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या ने भी आम आदमी पार्टी की छवि को धक्का दिया।
5. **आप को ‘आपदा’ बताकर भाजपा का चुनावी दांव**
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आप’ को चुनावी नारा बनाते हुए इसे आपदा करार दिया, और इस नारे को भाजपा ने चुनावी प्रचार में जमकर इस्तेमाल किया। इस नारे के जरिए भाजपा ने दिल्ली की जनता को यह बताया कि आप सरकार ने केंद्र की योजनाओं को लागू नहीं किया, जिसका नुकसान दिल्लीवासियों को हो रहा था।
6. **कांग्रेस का मजबूत चुनावी संघर्ष**
पिछले दो चुनावों में कांग्रेस ने एक भी सीट नहीं जीती थी, लेकिन इस बार पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंकी। कांग्रेस के बढ़ते वोट शेयर ने आम आदमी पार्टी को कई सीटों पर चुनौती दी, और इसका असर चुनाव परिणामों में दिखा। कांग्रेस ने भाजपा को चुनौती देने की कोशिश की और अपनी स्थिति मजबूत की, जिसका सीधा असर आम आदमी पार्टी की हार पर पड़ा।
इन सभी कारणों ने भाजपा को दिल्ली में आम आदमी पार्टी के खिलाफ मजबूती से खड़ा किया, और नतीजों में पलटाव देखने को मिला।