हरिद्वार में जनहित से जुड़ी शिकायतों को लेकर प्रशासन ने सख्त रुख अपना लिया है। सोमवार को आयोजित जनसुनवाई समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने जनसमस्याओं के समाधान में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के प्रति नाराजगी जताई और कड़ा संदेश दिया कि अब जनता की आवाज को अनसुना करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बैठक के दौरान डीएम ने सीएम हेल्पलाइन और जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज लंबित शिकायतों की विस्तार से समीक्षा की और संबंधित विभागों की कार्यशैली पर सवाल उठाए।
शिकायतों की अनदेखी पर पांच अधिकारियों पर कार्रवाई
बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने गंभीर लापरवाही बरतने वाले पांच अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए। इन अधिकारियों को समय पर जनशिकायतों का समाधान न करने के कारण जून माह का वेतन रोके जाने का आदेश दिया गया है। जिन अधिकारियों पर यह कार्रवाई हुई है, उनमें दो तहसीलदारों के साथ-साथ जिला शिक्षा अधिकारी (बेसिक) आशुतोष भंडारी, शिवालिक नगर नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी सुभाष कुमार, हरिद्वार तहसीलदार सचिन कुमार, रुड़की तहसीलदार विकास कुमार अवस्थी और चकबंदी अधिकारी रुड़की शामिल हैं। इन सभी को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर जवाब देने के लिए कहा गया है।
डीएम की दो टूक: अब कोई हीलाहवाली नहीं चलेगी
डीएम मयूर दीक्षित ने साफ कहा कि जनता की शिकायतों के निपटारे में हीलाहवाली या टालमटोल की प्रवृत्ति अब स्वीकार नहीं की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि अगर आगे भी इसी तरह की लापरवाही देखने को मिली तो और भी सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें निलंबन तक की नौबत आ सकती है। उनका कहना था कि जनहित से जुड़े मामलों में किसी भी प्रकार की ढिलाई सीधा आम जनता की जिंदगी पर असर डालती है, और प्रशासन इसे किसी कीमत पर नजरअंदाज नहीं कर सकता।
केवल कागजी कार्यवाही नहीं, समाधान जमीनी स्तर पर हो
बैठक में जिलाधिकारी ने यह भी निर्देश दिए कि शिकायतों का निपटारा केवल कागजों तक सीमित न रहे, बल्कि उसका असर जमीन पर साफ दिखाई देना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि विभागीय रिपोर्टों या पोर्टल पर ‘समाधान किया गया’ जैसी प्रविष्टियां तब तक मान्य नहीं मानी जाएंगी, जब तक शिकायतकर्ता स्वयं इस बात की पुष्टि न कर दे कि समस्या वास्तव में हल हुई है। इसके लिए अधिकारियों को स्वयं शिकायतकर्ताओं से संवाद स्थापित करने और समस्या के समाधान की पुष्टि करने का निर्देश दिया गया।
डीएम ने बताया कि अब अधिकारियों द्वारा की जा रही कॉल्स की भी मॉनिटरिंग की जा रही है। कॉल लॉग, बातों की भाषा, समाधान का स्वरूप—इन सभी पहलुओं की जांच की जाएगी ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
जनसेवा को प्राथमिकता, लापरवाही के लिए कोई जगह नहीं
जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता जनता की समस्याओं का प्रभावी और समयबद्ध समाधान है। उन्होंने कहा कि सरकारी सेवाओं और जनकल्याण की योजनाओं का लाभ तभी सही मायनों में लोगों तक पहुंच सकता है, जब संबंधित अधिकारी अपने कर्तव्यों को ईमानदारी और संवेदनशीलता से निभाएं।
डीएम ने कहा कि जो भी अधिकारी जनसेवा में ढिलाई बरतेगा, उसे जवाबदेही के दायरे में लाया जाएगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर कोई अधिकारी यह सोचता है कि वह फाइलों में काम निपटाकर जिम्मेदारी से बच सकता है, तो अब यह रवैया स्वीकार नहीं होगा। हर शिकायत का समाधान उसके मूल तक जाकर किया जाना चाहिए।
समीक्षा बैठकों की संख्या बढ़ेगी, निगरानी और कड़ी होगी
बैठक के अंत में जिलाधिकारी ने यह भी संकेत दिया कि अब ऐसी समीक्षा बैठकें नियमित अंतराल पर आयोजित की जाएंगी और प्रत्येक विभाग को अपनी कार्यप्रणाली का लेखाजोखा प्रस्तुत करना होगा। उन्होंने कहा कि सीएम हेल्पलाइन और जनसुनवाई पोर्टल पर लंबित शिकायतों की समीक्षा अब हफ्तावार आधार पर की जाएगी और प्रत्येक अधिकारी को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
संदेश स्पष्ट: जनता की आवाज सर्वोपरि
इस बैठक और कार्रवाई के माध्यम से जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि प्रशासन जनता की समस्याओं को लेकर अब और अधिक गंभीर है। शिकायतों को नजरअंदाज करने या देर करने की प्रवृत्ति अब नहीं चलेगी। अधिकारियों को यह समझना होगा कि वे सिर्फ सरकारी पद पर नहीं, बल्कि जनता के सेवक हैं और उनकी जवाबदेही सीधी जनता के प्रति है।
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निष्कर्ष: हरिद्वार जिला प्रशासन ने यह संदेश साफ कर दिया है कि जनहित के मामलों में अब लापरवाही की कोई जगह नहीं है। जिलाधिकारी द्वारा की गई इस सख्त कार्रवाई से न केवल अधिकारियों को अपने दायित्वों का बोध होगा, बल्कि जनता को भी भरोसा मिलेगा कि उनकी शिकायतें सुनी जा रही हैं और समाधान के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। यह कदम प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक मजबू
त पहल के रूप में देखा जा रहा है।