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केदारनाथ धाम के कपाट बंद

शीतकाल की शुरुआत के साथ ही चारधाम यात्रा के प्रमुख स्थलों के कपाट विधिपूर्वक बंद होने लगे हैं। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम के कपाट आज भाई दूज के पावन अवसर पर सुबह 8:30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। पंचकेदार में प्रमुख भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम में हजारों श्रद्धालुओं ने कपाट बंद होने से पहले बाबा केदार के दर्शन किए। तड़के 4 बजे से ही कपाट बंद करने की प्रक्रिया आरंभ हो गई थी, और ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप में स्थापित किया गया।

**बाबा केदार की डोली रवाना**

कपाट बंद होने के बाद सेना की बैंड धुनों के बीच बाबा केदार की चल उत्सव डोली को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए रवाना किया गया। बाबा की डोली आज पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी, जहां रात्रि प्रवास होगा। सोमवार को यह डोली गुप्तकाशी पहुंचेगी और मंगलवार को पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में स्थापित की जाएगी। यहां पर छह माह की शीतकालीन पूजा के लिए पंचमुखी विग्रह डोली को पूरे धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ मंदिर में विराजमान किया जाएगा।

गंगोत्री धाम के कपाट बंद

चारधाम यात्रा के प्रमुख गंगोत्री धाम के कपाट भी दो दिन पहले अन्नकूट पर्व पर बंद कर दिए गए थे। इस अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां गंगा की उत्सव डोली के अंतिम दर्शन के लिए देश-विदेश से सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचे थे। धाम के कपाट शनिवार को दोपहर 12:14 बजे अभिजीत मुहूर्त में बंद किए गए। अब गंगोत्री की उत्सव मूर्ति शीतकाल के लिए मुखबा गांव स्थित गंगा मंदिर में स्थापित की गई है, जहां श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन कर सकेंगे।

यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होंगे आज

चारधाम के अन्य धाम यमुनोत्री के कपाट भी आज भाई दूज के दिन दोपहर 12:05 बजे विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। यमुना की उत्सव मूर्ति खरसाली गांव के यमुना मंदिर में शीतकालीन प्रवास में रहेगी। खरसाली में यमुनोत्री धाम के श्रद्धालु यमुना जी की पूजा-अर्चना कर सकेंगे और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर पाएंगे।

शीतकाल में पूजा का महत्व

चारधाम के कपाट बंद होने के बाद, शीतकालीन पूजा अब शीतकालीन गद्दीस्थलों पर संपन्न होगी। श्रद्धालु अगले छह माह तक इन धामों के नजदीकी गांवों में स्थित मंदिरों में पूजा-अर्चना कर सकेंगे। स्थानीय समुदाय के लिए यह समय धार्मिक आस्था का प्रतीक है, और इन धामों के कपाट खुलने तक वे यहां अपनी श्रद्धा अर्पित करते रहेंगे।

उत्तराखंड के इन प्रमुख धामों की शीतकालीन यात्रा लाखों श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखती है। शीतकाल में इन गद्दीस्थलों पर पूजन और दर्शन का अनुभव बेहद पवित्र और सुकून देने वाला होता है।

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