उत्तराखंड में नशे के कारोबार के खिलाफ चल रहे अभियान को एक बड़ी सफलता मिली है। चंपावत जिले के बनबसा इलाके में पुलिस ने नेपाल सीमा पर चेकिंग के दौरान 5.688 किलोग्राम एमडीएमए (मिथाइलीन डाइऑक्सी मेथएम्फेटामाइन) बरामद की है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनुमानित कीमत 10.23 करोड़ रुपये आंकी गई है। यह अब तक की सबसे बड़ी बरामदगी मानी जा रही है।
सीमा पर हुई चेकिंग में बड़ी बरामदगी
शनिवार सुबह नेपाल सीमा से सटे बनबसा क्षेत्र में पुलिस ने चेकिंग अभियान चलाया। सीओ टनकपुर वंदना वर्मा के नेतृत्व में एसओजी प्रभारी लक्ष्मण सिंह जगवान और बनबसा थानाध्यक्ष सुरेंद्र कोरंगा की टीम ने शारदा नहर के पास एक महिला और पुरुष को संदिग्ध स्थिति में देखा। पुलिस ने जब उन्हें रोका, तो पुरुष मौके से भाग निकला। महिला की तलाशी लेने पर उसके बैग से भारी मात्रा में एमडीएमए मिला।
महिला गिरफ्तार, पति और साथी फरार
पकड़ी गई महिला की पहचान 22 वर्षीय ईशा, निवासी पंपापुर, बनबसा के रूप में हुई है। पूछताछ में उसने बताया कि जो व्यक्ति भागा, वह उसका पति राहुल कुमार था, जिसने यह ड्रग्स उसे दिए थे। ईशा ने यह भी खुलासा किया कि कुनाल कोहली नामक व्यक्ति, जो टनकपुर का निवासी है, भी इस नेटवर्क का हिस्सा है। दोनों फरार हैं और पुलिस उनकी तलाश में जुटी है। महिला के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया गया है।
मुर्गी फार्म में बनी थी गुप्त ड्रग लैब
पुलिस जांच में सामने आया कि यह एमडीएमए पिथौरागढ़ के थल क्षेत्र में स्थित एक मुर्गी फार्म में बनी गुप्त लैब में तैयार किया गया था। जून माह में इस ड्रग्स को वाहनों में छुपाकर बाहर निकाला गया था। हालांकि 26 जून को मुंबई और थल पुलिस ने संयुक्त छापेमारी कर इस लैब को ध्वस्त कर दिया था, लेकिन मुख्य आरोपी तब तक फरार हो चुके थे।
महाराष्ट्र पुलिस की गिरफ्त से खुला नेटवर्क का राज
इस नेटवर्क का खुलासा महाराष्ट्र पुलिस की एक कार्रवाई से शुरू हुआ। ठाणे पुलिस ने हाल ही में एक व्यक्ति को 10 ग्राम एमडीएमए के साथ गिरफ्तार किया था। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसे यह ड्रग उत्तराखंड से मिला था। इसके बाद सूचना उत्तराखंड पुलिस को दी गई और कुमाऊं रेंज की टीम ने सक्रिय होकर इस नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने की योजना बनाई।
क्लब कल्चर में बढ़ता एमडीएमए का चलन
एमडीएमए एक सिंथेटिक ड्रग है, जिसे ‘मॉली’, ‘एक्स्टसी’, ‘एमडी’, ‘म्याऊ-म्याऊ’ जैसे नामों से जाना जाता है। यह कोकीन की तरह तेज असर करता है और खासतौर पर मेट्रो शहरों और क्लबों में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। युवाओं में इसके प्रयोग की प्रवृत्ति चिंताजनक स्तर तक बढ़ रही है।
कुनाल कोहली: रसायन विज्ञान का छात्र और ड्रग निर्माता
पुलिस के मुताबिक फरार आरोपी कुनाल कोहली ने रसायन विज्ञान (केमिस्ट्री) की पढ़ाई की है और मुंबई में रहता है। उसे ड्रग निर्माण की तकनीकी जानकारी अच्छी तरह से है। जबकि राहुल कुमार टनकपुर में मोबाइल की दुकान चलाता है और वह अक्सर मुंबई जाया करता था। पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि कुनाल ने ड्रग्स बनाना कहाँ सीखा और उसके पीछे कौन लोग हैं।
ड्रग्स को नहर में फेंकने की थी योजना
ईशा ने पूछताछ में बताया कि उसे 27 जून को उसके पति ने ड्रग्स सौंपे थे। योजना यह थी कि वह 12 जुलाई को इन्हें शारदा नहर में फेंक दे ताकि सबूत मिटाए जा सकें। लेकिन पुलिस ने इससे पहले ही उसे पकड़ लिया। फरार आरोपी कुनाल को ठाणे पुलिस एक अन्य केस में पहले से वांछित मान रही है।
अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की भी जांच
एसपी अजय गणपति ने जानकारी दी है कि इस ड्रग नेटवर्क के पीछे नेपाल और नाइजीरिया जैसे देशों से संभावित अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की जांच की जा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि पिथौरागढ़ से बनाए गए ड्रग्स की सप्लाई देश के विभिन्न मेट्रो शहरों तक की जा रही थी।
2025 में अब तक 11 करोड़ की ड्रग्स जब्त
पुलिस आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2025 में अब तक करीब 11 करोड़ रुपये मूल्य की ड्रग्स जब्त की जा चुकी हैं। जबकि 2024 में यह आंकड़ा 4 करोड़ रुपये का था, जिसमें 1.28 किग्रा स्मैक और 60.5 किग्रा चरस जब्त की गई थी।
सम्मानित हुई पुलिस टीम
इस सफलता पर आईजी कुमाऊं रिद्धिम अग्रवाल ने पुलिस टीम को ₹20,000 का नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया है। इस टीम में सीओ वंदना वर्मा, एसओजी प्रभारी लक्ष्मण सिंह जगवान, बनबसा थानाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह कोरंगा, पिथौरागढ़ एसओजी प्रभारी प्रकाश पांडे समेत अन्य पुलिसकर्मी शामिल रहे।
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यह कार्रवाई उत्तराखंड पुलिस की सतर्कता और सुनियोजित रणनीति का नतीजा है। यह सफलता न केवल एक बड़े सिंथेटिक ड्रग रैकेट के खिलाफ प्रभावी प्रहार है, बल्कि आने वाले समय में अन्य राज्यों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से मिलकर ऐसे नेटवर्क को
जड़ से खत्म करने की दिशा में अहम कदम भी है।