देहरादून: उत्तराखंड सरकार प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को बढ़ावा देने के लिए एक नई और व्यापक नीति तैयार करने की दिशा में तेज़ी से काम कर रही है। इस नीति का उद्देश्य न केवल ई-वाहनों के उपयोग को बढ़ाना है, बल्कि राज्य को हरित, टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल परिवहन व्यवस्था की ओर ले जाना भी है।

 

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में गुरुवार को एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें इस प्रस्तावित ईवी नीति के मसौदे पर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक में उद्योग विभाग और परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया और इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण एवं उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श किया।

 

नीति में सभी हितधारकों को मिलेगा लाभ

 

मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि नीति में उपभोक्ताओं, वाहन निर्माताओं और ऑपरेटरों सभी के लिए आकर्षक प्रोत्साहन योजनाएं जोड़ी जाएं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक इलेक्ट्रिक वाहनों के अनुकूल वातावरण नहीं तैयार किया जाएगा, तब तक उनके व्यापक उपयोग की संभावनाएं सीमित रहेंगी। इसलिए यह आवश्यक है कि नीति ऐसी हो जो विभिन्न वर्गों के लिए व्यवहारिक, लाभकारी और प्रोत्साहनकारी हो।

 

नीति में दोपहिया, तिपहिया, चार पहिया वाहन और इलेक्ट्रिक बसों के लिए अलग-अलग योजनाएं प्रस्तावित की जा रही हैं। यह प्रयास राज्य में ई-वाहन क्षेत्र को समग्र रूप से विकसित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

 

निगरानी व्यवस्था होगी मजबूत

 

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए एक मजबूत निगरानी तंत्र स्थापित करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि नीति को धरातल पर उतारने में ढिलाई बरती गई, तो इसका लाभ सीमित रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह नीति केवल एक कागजी दस्तावेज न होकर एक ठोस क्रियान्वयन योजना बने, जिससे ई-वाहनों की पहुंच और लोकप्रियता दोनों में इजाफा हो।

 

पर्यावरण संरक्षण और रोजगार को भी मिलेगा बल

 

इस बैठक में सचिव विनय शंकर पांडेय ने नीति से जुड़े प्रारूप का प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित नीति में कार्बन क्रेडिट जैसे लाभों को भी शामिल किया गया है, जिससे ई-वाहनों के उपयोग को पर्यावरणीय रूप से अधिक लाभकारी बनाया जा सके। साथ ही, इससे राज्य में हरित ऊर्जा आधारित परिवहन को मजबूती मिलेगी।

 

इसके अलावा यह नीति स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन में भी सहायक होगी। इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण, चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, बैटरी रिपेयरिंग, रीसायक्लिंग जैसे क्षेत्रों में युवाओं के लिए नए अवसर उत्पन्न होंगे।

 

उत्तराखंड में ई-वाहनों की वर्तमान स्थिति

 

उत्तराखंड में फिलहाल कुल 42,15,496 पंजीकृत वाहन हैं, जिनमें से केवल 84,614 वाहन ही इलेक्ट्रिक हैं। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि अभी ई-वाहनों की हिस्सेदारी राज्य में काफी कम है। लेकिन नई नीति लागू होने के बाद इस संख्या में तेज़ी से वृद्धि की उम्मीद की जा रही है।

 

देश की बात करें तो भारत में कुल 34 करोड़ वाहनों में से लगभग 61.65 लाख वाहन इलेक्ट्रिक हैं। यानी राष्ट्रीय स्तर पर भी ईवी की हिस्सेदारी अभी प्रारंभिक चरण में है, लेकिन तेजी से विस्तार की ओर बढ़ रही है। ऐसे में उत्तराखंड सरकार की यह पहल राज्य को इस परिवर्तनशील दौर में आवश्यक बढ़त दिला सकती है।

 

लक्ष्य: ईवी के लिए अग्रणी राज्य बनना

 

सरकार का लक्ष्य आने वाले कुछ वर्षों में उत्तराखंड को ईवी के लिए एक अग्रणी और अनुकूल राज्य बनाना है। नीति के तहत वाहन खरीद पर सब्सिडी, टैक्स में छूट, चार्जिंग स्टेशन की स्थापना में मदद जैसे कई प्रावधान प्रस्तावित हैं।

 

इसके अलावा चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जाएगा। सरकार की कोशिश है कि लोग बिना झिझक और किसी तकनीकी समस्या के ई-वाहनों को अपनाएं।

 

निष्कर्ष

 

उत्तराखंड सरकार की प्रस्तावित ईवी नीति न केवल राज्य के पर्यावरणीय भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी दृष्टिकोण से भी दूरगामी प्रभाव डाल सकती है। अगर नीति को सटीक और प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो आने वाले समय में उत्तराखंड हरित परिवहन के क्षे

त्र में एक मॉडल राज्य बन सकता है।

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