Demo

 

उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (UTU) एक बार फिर चर्चा में है, और इस बार मामला बेहद चौंकाने वाला है। देहरादून के “दून बिजनेस स्कूल” में पढ़ने वाले एमबीए के एक छात्र, आश्विन, जो पहले साल में फेल हो गया था, उसे विश्वविद्यालय ने पास की डिग्री दे दी।

 

यह मामला तब सामने आया जब उसी कॉलेज के एक अन्य छात्र, राघवेंद्र, ने इस गड़बड़ी की शिकायत उत्तराखंड के तकनीकी शिक्षा सचिव को 1 जनवरी 2025 को की। इस शिकायत ने पूरे शिक्षा तंत्र की खामियों को उजागर कर दिया है।

 

कैसे हुई इतनी बड़ी गलती?

 

जब कोई छात्र परीक्षा फॉर्म भरता है, तो उसके दस्तावेज़ कॉलेज से लेकर विश्वविद्यालय तक कई स्तरों पर जांचे जाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि किसी भी अधिकारी ने इस गलती को क्यों नहीं पकड़ा? क्या यह सिर्फ लापरवाही थी, या फिर इसमें किसी की मिलीभगत थी? अगर यह जानबूझकर किया गया है, तो इसके पीछे कौन जिम्मेदार है?

 

कुलपति की चुप्पी और भ्रष्टाचार की आशंका

 

इस मामले से विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठते हैं। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि विश्वविद्यालय के कुलपति ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। क्या यह चुप्पी किसी बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रही है? क्या फेल छात्रों को पैसे लेकर पास करने का खेल चल रहा है? अगर ऐसा है, तो इसमें कौन-कौन शामिल हो सकता है?

 

शक्तियों का गलत इस्तेमाल?

 

ऐसी गलती किसी भी शिक्षण संस्थान से होने की उम्मीद नहीं की जाती। क्या विश्वविद्यालय के बड़े अधिकारी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं? अगर यह गलती जानबूझकर की गई है, तो यह पूरे शिक्षा तंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है।

 

UTU पर पहले भी लग चुके हैं आरोप

 

यह पहली बार नहीं है जब उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय पर लापरवाही या भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी इस विश्वविद्यालय के खिलाफ कई शिकायतें की जा चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। विश्वविद्यालय के कुलपति की चुप्पी यह सोचने पर मजबूर करती है कि कहीं “अंधेर नगरी चौपट राजा” वाली स्थिति तो नहीं बनी हुई है?

 

अब देखना यह होगा कि इस मामले में सरकार और शिक्षा विभाग क्या कार्रवाई करते हैं। अगर इस तरह की गलतियां जारी रहीं, तो छात्रों के भविष्य पर गं

भीर असर पड़ सकता है।

 

Share.
Leave A Reply