गंगोत्री घाटी के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम ने करवट ली है। बीते सोमवार देर रात से गोमुख-तपोवन क्षेत्र में सीजन की पहली भारी बर्फबारी दर्ज की गई, जिससे पूरा इलाका बर्फ की सफेद परत से ढक गया। वहां करीब आधा फीट से अधिक बर्फ जमी है। इस बर्फबारी से तापमान में भी गिरावट आई है और घाटी का दृश्य बेहद मनमोहक हो गया है।
गंगोत्री नेशनल पार्क प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से गोमुख, भोजबासा और तपोवन ट्रैक पर दो दिन के लिए ट्रैकिंग गतिविधियों पर अस्थाई रोक लगा दी है। मंगलवार और बुधवार को किसी नए ट्रैकर को ट्रैक पर जाने की अनुमति नहीं दी गई। वहीं बुधवार सुबह तक ट्रैक पर पहले से मौजूद 139 ट्रैकर्स सुरक्षित रूप से गंगोत्री लौट आए हैं।
कनखू बैरियर इंचार्ज वन दरोगा राजवीर रावत ने बताया कि प्रशासन की ओर से मौसम की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। गुरुवार को हालात का आकलन कर ट्रैक को दोबारा खोले जाने का निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि फिलहाल जिन ट्रैकर्स की ट्रैकिंग मंगलवार और बुधवार को प्रस्तावित थी, उन्हें गंगोत्री में ही रोका गया है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके।
इस दौरान लौटते समय ट्रैकर्स ने भोजबासा और चीड़बासा में बर्फ के बीच कैंपिंग कर रोमांचक अनुभव साझा किया। बर्फ से लदी घाटियों में उन्होंने प्रकृति की खूबसूरती का आनंद उठाया।
वहीं, नेलांग और जादूंग घाटी में भी जमकर बर्फबारी हुई है। दोनों इलाकों की पहाड़ियां अब पूरी तरह से बर्फ की मोटी चादर में लिपटी नजर आ रही हैं। बर्फबारी के कारण जादूंग क्षेत्र में चल रहे होमस्टे निर्माण कार्य प्रभावित हुए हैं। अगर बर्फबारी का यह दौर जारी रहा तो निर्माण कार्यों में निर्धारित समय सीमा से देरी हो सकती है।
कुल मिलाकर, गोमुख-तपोवन और आसपास के इलाकों में हुई बर्फबारी ने जहां पर्यटकों और ट्रैकर्स के चेहरों पर मुस्कान ला दी है, वहीं प्रशासन के लिए यह सतर्कता और सुरक्षा की चुनौती बन गई है। अब सभी की नजरें गुरुवार को मौसम में सुधार और ट्रैकिंग गतिविधियों की बहाली पर टिकी हैं।

