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अल्मोड़ा में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा के खिलाफ चल रहा “ऑपरेशन स्वास्थ्य” आंदोलन अब और तेज हो गया है। बीते 24 दिनों से अपनी मांगों पर डटे आंदोलनकारियों ने अब देहरादून की ओर पैदल कूच शुरू कर दिया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह यात्रा सरकार को जगाने और प्रदेश में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की बहाली के लिए दबाव बनाने का प्रयास है।

शुक्रवार सुबह आरती घाट से गगनभेदी नारों के बीच पदयात्रा की शुरुआत हुई। बड़ी संख्या में ग्रामीण, महिलाएं, युवा और बुजुर्ग इसमें शामिल हुए। रैली में “डॉक्टर दो–अस्पताल बचाओ”, “स्वास्थ्य सेवाएं बहाल करो” और “धामी सरकार होश में आओ” जैसे नारे गूंजते रहे। नगर में विशाल आक्रोश रैली निकाली गई, जिसमें लोगों ने सरकार के खिलाफ तीखा विरोध जताया। प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट कहा कि जनता अब आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है।

23 दिनों से जारी धरना और भूख हड़ताल के बावजूद जब सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो आंदोलन के संयोजक भुवन कठायत के नेतृत्व में बुधवार को देहरादून कूच का निर्णय लिया गया। पदयात्रा में मातृशक्ति, युवाओं और बुजुर्गों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। यात्रा के दौरान नगर का माहौल पूरी तरह आंदोलित नजर आया। लोगों का सैलाब रैली के रूप में छह किलोमीटर दूर जमणियां-रामपुर पहुंचा, जहां से पदयात्री गैरसैंण के लिए रवाना हुए। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि जल्द उनकी मांगों को अमल में नहीं लाया गया तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा। रात्रि विश्राम गैरसैंण में किया जाएगा।

आंदोलनकारियों को मिला व्यापक समर्थन
इस रैली में भुवन कठायत के साथ पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी, उपपा के पीसी तिवारी, जीवन नेगी, पूर्व प्रमुख मीना कांडपाल, गीता कठायत, कैलाश पांडे, दान सिंह कुमयां, नंदन मेहरा, संतोषी वर्मा, कांता रावत, धीरज तिवारी, जगदीश नायक, महेंद्र बैडिया, मदन कुमयां सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक शामिल हुए।

23वें दिन भी जारी रहा आमरण अनशन
आरती घाट पर आंदोलन और आमरण अनशन 23वें दिन भी जारी रहा। नारायण मेहरा पांचवें दिन और प्रधान मनोहर दत्त देवतला दूसरे दिन भूख हड़ताल पर बैठे रहे। वहीं हीरा देवी, तुलसी देवी, चंपा देवी, भागुली देवी समेत कई महिलाओं ने क्रमिक अनशन में भाग लिया। अब तक 16 लोग आमरण अनशन में बैठ चुके हैं, जिनमें से 14 को पुलिस ने जबरन हटाया है, पर आंदोलन जारी है। ग्रामीण क्षेत्रों से लोग लगातार समर्थन देने पहुंच रहे हैं।

आंदोलन का असर दिखने लगा
लगातार दबाव के बाद अब आंदोलन का असर स्वास्थ्य विभाग पर नजर आने लगा है। शुक्रवार को दो विशेषज्ञ चिकित्सक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पहुंचे हैं और उनकी तैनाती की प्रक्रिया शुरू हो गई है। प्रभारी डा. अमित रतन सिंह ने बताया कि इससे पहले एक एमबीबीएस चिकित्सक की भी नियुक्ति की जा चुकी है। ईसीजी मशीन अब सक्रिय हो गई है और मरीजों को सीधा लाभ मिलने लगा है। वहीं उप जिला चिकित्सालय के भवन निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर नहीं होतीं, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। उनका लक्ष्य है कि सरकार धरातल पर ठोस कदम उठाए, न कि केवल आश्वासन दे।

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