उत्तराखंड में फर्जी पहचान से अपराध करने वालों पर अब कड़ी कार्रवाई होगी। राज्य सरकार ने सभी जिलों, तहसीलों और ब्लॉकों में गहन सत्यापन अभियान शुरू करने के निर्देश दिए हैं। इस पहल का मुख्य उद्देश्य उन लोगों पर रोक लगाना है, जो अपनी असली पहचान छिपाकर अपराधों में शामिल होते हैं।
गृह सचिव शैलेश बगोली ने पुलिस महानिदेशक और प्रदेश के सभी एसएसपी व एसपी को निर्देश दिए हैं कि ऐसे मामलों पर विशेष ध्यान देते हुए सख्त कार्रवाई की जाए। पुलिस मुख्यालय में बनाई गई विशेष टीम हर जिले से रिपोर्ट एकत्र कर शासन को सौंपेगी।
अपराधों पर निगरानी
सरकार के अनुसार कुछ लोग नकली नाम, धर्म या वेशभूषा का इस्तेमाल कर अपहरण, दुष्कर्म, विवाह के नाम पर छल, मानव तस्करी, साइबर ठगी, फर्जी दस्तावेज बनवाकर नागरिकता लेने और झूठे उपचार के दावे जैसे गंभीर अपराधों में शामिल पाए गए हैं।
जनता को जागरूक किया जाएगा
सत्यापन के साथ-साथ जिला व तहसील स्तर पर कार्यशालाएं आयोजित होंगी, ताकि आम नागरिकों को सतर्क किया जा सके। इसके अलावा सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्मों के जरिए भी लोगों को जागरूक किया जाएगा।
कानूनी प्रावधान
कार्रवाई के लिए कई कानूनों का इस्तेमाल किया जाएगा, जिनमें शामिल हैं—
भारतीय न्याय संहिता
औषधि एवं चमत्कारिक उपचार अधिनियम, 1984
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
उत्तराखंड धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम, 2018
“ऑपरेशन कालनेमि” के तहत कार्रवाई
इस विशेष अभियान में निम्न अपराधों पर फोकस होगा:
नकली पहचान बनाकर जनता को गुमराह करना
झूठे विज्ञापन और फर्जी उपचार के दावे
साइबर अपराध, फर्जी प्रोफाइल और फिशिंग
ब्लैकमेलिंग के लिए एडिटेड फोटो/वीडियो का इस्तेमाल
विवाह के नाम पर धोखाधड़ी
फर्जी दस्तावेज बनाना और इस्तेमाल करना
मिथ्या कागजात से मानव तस्करी व सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना
सरकार का कहना है कि “ऑपरेशन कालनेमि” के जरिए ऐसे अपराधियों पर कठोर कार्रवाई होगी और जनता को सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराया जाएगा।