उत्तराखंड के देहरादून और रुड़की शहरों में कर विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जीएसटी चोरी के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा किया है। यह अभियान राज्य कर विभाग की केंद्रीयकृत आसूचना इकाई (CIU) के नेतृत्व में बुधवार को चलाया गया। छापेमारी के दौरान विभाग की टीमों ने कुल 14 फर्मों पर कार्रवाई की, जिनमें से अधिकतर आयरन-स्टील ट्रेड और वर्क कॉन्ट्रैक्ट जैसे व्यवसायों से जुड़ी थीं। इन फर्मों पर आरोप है कि इन्होंने इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का गलत दावा करके सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया।
एक साथ कई ठिकानों पर कार्रवाई
सीआईयू की यह कार्रवाई देहरादून और रुड़की के अलग-अलग इलाकों में एक ही समय पर की गई। आयुक्त राज्य कर सोनिका के निर्देश पर चली इस कार्रवाई में विभाग की अलग-अलग टीमों ने 14 फर्मों के कार्यस्थलों और कार्यालयों पर छापे मारे। शुरुआती जांच में यह बात सामने आई कि इन फर्मों ने फर्जी खरीद-बिक्री के दस्तावेजों के आधार पर टैक्स रिटर्न में गलत ITC क्लेम किया।
बंद कंपनियों के नाम पर दिखाई गई खरीद
जांच में यह भी सामने आया कि कुछ फर्मों ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश की ऐसी कंपनियों से माल की खरीद दिखा दी, जो पहले ही बंद हो चुकी थीं। इतना ही नहीं, इन कंपनियों द्वारा दिखाई गई माल ढुलाई में जिन ट्रकों और गाड़ियों का उल्लेख किया गया था, वे उस समय किसी और राज्य में चालू गतिविधियों में लगे हुए पाए गए। यानी जो वाहन जमीनी हकीकत में उस समय मौके पर मौजूद ही नहीं थे, उनका उपयोग बिलों में माल ढोने के लिए दिखाया गया।
घरों से चल रही थीं फर्जी कंपनियां
इस कार्रवाई के दौरान एक और चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि कुछ फर्में किसी ऑफिस या गोदाम से नहीं, बल्कि घरों से ही चलाई जा रही थीं। जांच में यह पाया गया कि इनमें से 12 फर्मों के भौतिक व्यापार स्थल मौजूद थे, जबकि दो फर्मों का संचालन सीधे घर से ही किया जा रहा था। इन फर्मों को एक ही परिवार के अलग-अलग सदस्य आपसी मिलीभगत से चला रहे थे। छापेमारी के दौरान विभाग ने दस्तावेजों के साथ-साथ डिजिटल डिवाइसेज भी जब्त किए, ताकि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों का विश्लेषण किया जा सके। इसके लिए फॉरेंसिक टीम की मदद ली गई।
ट्रांजिट रिकॉर्ड में भी फर्जीवाड़ा
टैक्स चोरी की पुष्टि तब और मजबूत हो गई जब जांच में यह सामने आया कि जिन वाहनों के जरिए माल की ढुलाई दिखाई गई, उनका टोल प्लाजा पर कोई ट्रांजिट रिकॉर्ड ही मौजूद नहीं था। यानी पूरा लेन-देन केवल कागजों पर किया गया और वास्तविक तौर पर कोई माल एक जगह से दूसरी जगह भेजा ही नहीं गया।
मौके पर हुई 2.31 करोड़ की वसूली
इस जांच में उपायुक्त निखिलेश श्रीवास्तव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की टीमें शामिल रहीं। कार्रवाई के दौरान विभागीय टीमों ने कुछ फर्मों से मौके पर ही 2.31 करोड़ रुपये की जीएसटी राशि वसूल कर ली। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, पूरे घोटाले में करीब 6 करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स चोरी की आशंका जताई गई है। आगे की विस्तृत जांच अभी जारी है और अन्य जुड़े व्यक्तियों या फर्मों पर भी कार्रवाई हो सकती है।
ITC घोटाला क्या है?
जीएसटी कानून के तहत इंपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) एक वैध सुविधा है, जिसके जरिए व्यापारी अपनी खरीद पर दिए गए टैक्स को बिक्री पर चुकाए जाने वाले टैक्स से समायोजित कर सकते हैं। लेकिन कुछ लोग इस सुविधा का दुरुपयोग करते हुए फर्जी बिलों के जरिए ऐसा दिखाते हैं जैसे उन्होंने भारी मात्रा में माल खरीदा और बेचा हो, जबकि वास्तव में ऐसा कोई लेन-देन नहीं हुआ होता। इससे सरकार को बड़ा राजस्व नुकसान होता है। देहरादून-रुड़की केस में भी ऐसा ही घोटाला सामने आया है।
कड़े कदमों का संकेत
राज्य कर विभाग की यह कार्रवाई इस बात का साफ संकेत है कि अब टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ सरकार सख्त रुख अपनाने जा रही है। विभाग ने साफ कर दिया है कि ऐसे मामलों में आगे भी इसी तरह की व्यापक छानबीन और कार्रवाई जारी रहेगी। यह कदम ईमानदारी से व्यापार कर रहे व्यवसायियों के लिए राहत और टैक्स चोरी करने वालों के लिए चेतावनी
के रूप में देखा जा रहा है।