दिसंबर से उत्तराखंड सरकार बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों पर ग्रीन सेस वसूली की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। चारधाम यात्रा और पर्यटन सीजन में हरिद्वार राज्य का मुख्य प्रवेश द्वार होने के कारण यहां रोजाना हजारों बाहरी वाहन पहुंचते हैं। सरकार का मानना है कि ग्रीन सेस से राज्य को प्रतिदिन भारी राजस्व प्राप्त होगा और प्रदूषण नियंत्रण में भी सहायता मिलेगी।
परिवहन विभाग के मुताबिक, यह शुल्क फास्टैग के माध्यम से स्वतः काटा जाएगा। यदि फास्टैग में पर्याप्त बैलेंस नहीं हुआ तो वाहन मालिकों पर चालान की कार्रवाई की जाएगी। बाहरी राज्यों के वाहन चालकों को अब टोल टैक्स के साथ ही ग्रीन सेस के लिए भी फास्टैग बैलेंस रखना अनिवार्य होगा।
हरिद्वार में बहादराबाद टोल प्लाजा के आंकड़ों के अनुसार पर्यटन सीजन में 80 हजार से एक लाख वाहन प्रतिदिन राज्य में प्रवेश करते हैं। इनमें से लगभग 30 हजार वाहन चिड़ियापुर बॉर्डर से गुजरते हैं। ग्रीन सेस लागू होने के बाद लगभग इसी संख्या के वाहनों से शुल्क वसूली की उम्मीद है।
ग्रीन सेस वसूली के लिए हरिद्वार के भगवानपुर, नारसन और चिड़ियापुर बॉर्डर पर ऑटोमेटेड नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे स्थापित कर दिए गए हैं। वर्तमान में इन कैमरों को सॉफ्टवेयर से जोड़ने का काम जारी है। इन कैमरों की मदद से वाहन पहचानते ही फास्टैग से शुल्क अपने आप कट जाएगा।
परिवहन विभाग का कहना है कि ग्रीन सेस सिस्टम को इस तरह तैयार किया गया है कि बाहरी राज्यों से आने वाले यात्रियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। सभी प्रवेश द्वारों पर एनपीआर कैमरों की स्थापना पूरी हो चुकी है और सिस्टम दिसंबर से पूरी तरह लागू हो जाएगा।
एआरटीओ प्रशासन निखिल शर्मा के अनुसार, “बाहरी वाहनों से ग्रीन सेस वसूली के लिए सभी तकनीकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सुनिश्चित किया जा रहा है कि यात्रियों को अतिरिक्त समय या परेशानी का सामना न करना पड़े।”
ग्रीन सेस शुल्क सूची
कार: 80 रुपये
बसें: 140 रुपये
डिलीवरी वैन: 250 रुपये
ट्रक: आकार के अनुसार 120 रुपये से 700 रुपये तक

