देहरादून के सहस्रधारा, मालदेवता और सरखेत जैसे संवेदनशील नदी क्षेत्रों में अवैध निर्माणों का बोलबाला लगातार बढ़ता जा रहा है। नदी की श्रेणी में आने वाली भूमि पर बड़े पैमाने पर कब्ज़ा कर होटल और रिसोर्ट खड़े कर दिए गए हैं। कई संचालक तो अपनी संपत्ति को बचाने के लिए नदी की धारा तक मोड़ रहे हैं, जिससे आपदा के समय आम लोगों और सरकारी संपत्ति दोनों को खतरा पैदा हो गया है।
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी का गुस्सा
गुरुवार को आपदा प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने पहुंचे जिलाधिकारी सविन बंसल तब हैरान रह गए जब उन्होंने बांडावाली खैरी मान सिंह क्षेत्र में एक रिसोर्ट का निर्माण सीधे नदी की जमीन पर पाया। जांच में सामने आया कि स्पर्श फर्म एंड रिसोर्ट के मालिक ने एप्रोच रोड बनाने के लिए नदी की धारा ही बदल डाली।
करोड़ों की सरकारी संपत्ति को नुकसान
नदी की दिशा बदलने का खामियाजा इलाके की सड़क को भुगतना पड़ा। आपदा के दौरान तेज बहाव सीधे सड़क पर आ गया, जिससे करीब 150 मीटर सड़क पूरी तरह बह गई। अभियंताओं का कहना है कि यदि नदी अपनी मूल धारा में बहती रहती तो इतना भारी नुकसान न होता। प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक, इस करतूत से सरकार को लगभग 6 करोड़ रुपये की क्षति हुई है।
जांच और कड़ी कार्रवाई के आदेश
गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने साफ कहा कि सरकारी संपत्ति को हुआ नुकसान रिसोर्ट संचालक से वसूला जाएगा। साथ ही नदी भूमि की पूरी पड़ताल कर उसे सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
विभागीय लापरवाही पर उठे सवाल
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि सहस्रधारा से लेकर मालदेवता और सरखेत तक रिसोर्ट और होटल धड़ल्ले से खड़े होते रहे, लेकिन सिंचाई विभाग और जिम्मेदार अधिकारियों ने कभी कार्रवाई नहीं की। उनकी लापरवाही अब आपदा के समय जनता और प्रशासन दोनों पर भारी पड़ रही है।
अस्थायी राहत, स्थायी समाधान अभी दूर
फिलहाल लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) ने मौके पर अस्थायी समाधान के तहत नदी को चैनलाइज कर सड़क को ठीक करने का काम शुरू कर दिया है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक नदी किनारे बने अवैध निर्माणों पर कठोर कार्रवाई नहीं होती, तब तक इस तरह की घटनाएं बार-बार सामने आती रहेंगी।