Demo

 

भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुए सिंधु जल समझौते पर अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने एक कड़ा कदम उठाते हुए इस समझौते को रोकने का फैसला किया है। यह फैसला पाकिस्तान को सख्त चेतावनी देने के रूप में देखा जा रहा है कि अगर आतंकवाद को बढ़ावा दिया गया, तो उसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

समझौते का महत्व

सिंधु जल समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता था, जिसके तहत सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों का पानी पाकिस्तान इस्तेमाल करेगा, जबकि रावी, ब्यास और सतलुज नदियों का पानी भारत के हिस्से में आएगा। यह व्यवस्था कई दशकों से बिना किसी बड़ी रुकावट के चल रही थी।

पाकिस्तान पर प्रभाव

पाकिस्तान की कृषि, पीने के पानी की आपूर्ति और बिजली उत्पादन में सिंधु नदी प्रणाली का बहुत बड़ा योगदान है। वहां की लगभग 80% खेती इसी पानी पर निर्भर करती है और 93% पानी खेती के लिए ही इस्तेमाल होता है। अगर समझौता पूरी तरह रुक जाता है, तो पाकिस्तान को भारी जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।

भारत का संदेश

भारत के इस कदम का मतलब है कि अब “पानी” को भी रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत ने साफ कर दिया है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने के गंभीर परिणाम होंगे।

आगे की राह

अब सबकी नजरें इस पर हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर क्या रुख अपनाता है, और दोनों देश आपसी बातचीत से इस विवाद का क्या हल निकालते हैं। समझौते में विवादों को सुलझाने के लिए स्थायी आयोग और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की व्यवस्था है, लेकिन भारत के इस कदम ने एक नई चुनौती पेश की है।

आगे की संभावनाएं

– आतंकवाद पर पाकिस्तान का रुख: पाकिस्तान को आतंकवाद को बढ़ावा देने के बजाय इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

– आपसी बातचीत: दोनों देशों को आपसी बातचीत से इस विवाद का हल निकालना होगा।

– जल संकट: अगर समझौता पूरी तरह रुक जाता है, तो पाकिस्तान को भारी जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।

Share.
Leave A Reply

Live Almora

Stay connected with Live Almora – your trusted source for local news, events, and updates from Almora and across Uttarakhand. Real stories, real voices, right from the hills.

Contact Us-  
Aryan Sharma
Kalli mitti gaon
Thano road
Raipur dehradun
Phone – 91934 28304