उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर क्षेत्र में स्थित सूर्या रोशनी लिमिटेड के प्लांट में गुरुवार को एक बड़ा हादसा हो गया। सुबह लगभग 11:30 बजे के आसपास प्लांट परिसर में एक हाइड्रोजन सिलिंडर में अचानक जोरदार विस्फोट हुआ। धमाका इतना तेज था कि आसपास का इलाका भी इसकी तीव्रता से कांप उठा। इस दर्दनाक घटना में एक कर्मचारी की मौके पर ही मृत्यु हो गई, जबकि कई अन्य श्रमिक गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।
हादसे की भयावहता
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विस्फोट का शोर कई किलोमीटर दूर तक सुना गया। प्लांट के अंदर मौजूद कर्मचारी पहले कुछ समझ नहीं पाए लेकिन जब उन्होंने आग की लपटें और धुआं उठते देखा, तो वहां अफरा-तफरी मच गई। घटनास्थल पर मौजूद एक कर्मचारी ने बताया कि मृतक व्यक्ति के दोनों पैर धमाके के कारण शरीर से अलग हो गए थे और उसका शरीर बुरी तरह झुलस गया था। हादसा इतना भयानक था कि कई कर्मचारी सदमे में आ गए।
घायल कर्मचारियों की स्थिति
हादसे में घायल हुए कर्मचारियों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, घायलों का इलाज जारी है और डॉक्टरों की एक टीम उनकी निगरानी में लगी हुई है।
प्लांट में मचा हड़कंप, स्टाफ को भेजा गया घर
विस्फोट के तुरंत बाद, प्लांट प्रबंधन ने पूरी यूनिट को बंद कर दिया और सुरक्षा के मद्देनज़र कर्मचारियों को छुट्टी दे दी। सभी को बसों के जरिए घर भेजा गया ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके और किसी तरह की अफवाह या भगदड़ से बचा जा सके।
प्रशासन और पुलिस मौके पर पहुंची
जैसे ही घटना की सूचना प्रशासन और पुलिस को मिली, तुरंत उच्च अधिकारी मौके पर पहुंचे। प्लांट के आसपास के क्षेत्र को घेरकर लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। फिलहाल किसी को प्लांट के भीतर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई है कि आखिर इस विस्फोट के पीछे कारण क्या था और किन तकनीकी या मानवीय चूकों के चलते यह हादसा हुआ।
हाइड्रोजन गैस का संवेदनशील स्वरूप
हाइड्रोजन एक अत्यधिक ज्वलनशील गैस होती है, जो हवा में मिलते ही विस्फोटक रूप ले सकती है। इसलिए इसके भंडारण और संचालन के दौरान उच्च स्तरीय सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना बेहद जरूरी होता है। यदि किसी भी स्तर पर सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जाती है, तो यह जानलेवा साबित हो सकती है — जैसा कि काशीपुर में हुआ।
स्थानीय लोगों में डर और गुस्सा
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों और प्लांट में काम करने वाले श्रमिकों के बीच भय और गुस्सा दोनों देखने को मिल रहा है। लोगों का कहना है कि प्लांट में पहले भी सुरक्षा को लेकर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन इस पर कभी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया। कुछ कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया है कि प्लांट में काम करने वाले मजदूरों को न तो उचित प्रशिक्षण दिया जाता है और न ही आवश्यक सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं।
क्या थी लापरवाही?
अब प्रशासन और फैक्ट्री इंस्पेक्शन विभाग के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर यह विस्फोट कैसे हुआ? क्या हाइड्रोजन सिलिंडर में कोई तकनीकी खराबी थी या फिर मानवीय भूल इसका कारण बनी? साथ ही, क्या प्लांट प्रबंधन ने श्रमिकों को आवश्यक सुरक्षा उपाय दिए थे या नहीं — यह भी जांच का विषय है। फैक्ट्री अधिनियम के तहत ऐसी इकाइयों में सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण मानकों का पालन अनिवार्य है।
कानूनी कार्यवाही और अगली कार्रवाई
प्रशासन की ओर से घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए जाने की संभावना है। साथ ही, यदि जांच में किसी की लापरवाही सामने आती है तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। मृतक के परिजनों को मुआवजे और घायलों को उचित चिकित्सा सुविधा देने की दिशा में भी प्रयास जारी हैं।
निष्कर्ष
काशीपुर में सूर्या रोशनी लिमिटेड में हुआ यह हादसा एक बार फिर से औद्योगिक इकाइयों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। जहां एक ओर उद्योगों से रोजगार और विकास जुड़ा होता है, वहीं दूसरी ओर श्रमिकों की जान की जिम्मेदारी भी उतनी ही बड़ी होती है। यह हादसा एक चेतावनी है कि सुरक्षा के साथ कोई समझौता भविष्य में और
भी गंभीर घटनाओं का कारण बन सकता है।

