उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित कर्णप्रयाग क्षेत्र एक बार फिर भूस्खलन की चपेट में आ गया है। उमटा के पास पहाड़ी से मलबा गिरने से एक मकान बुरी तरह प्रभावित हुआ है। भूस्खलन का मलबा मकान के अंदर तक घुस गया, जिससे वहां रहने वाले लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। राहत की बात यह रही कि समय रहते सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया और उन्हें सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया गया।
स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन दल ने तत्परता दिखाते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और प्रभावित परिवार को बाहर निकाला। इस दौरान बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-7) को भी एहतियातन बंद कर दिया गया, क्योंकि भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर सड़क पर गिरने से मार्ग पूरी तरह बाधित हो गया है। इस मार्ग के बंद होने से यातायात पर असर पड़ा है और यात्रियों को वैकल्पिक मार्गों से यात्रा करनी पड़ रही है।
रविवार को भी गिरा था बोल्डर, बाल-बाल बचे लोग
बताया जा रहा है कि यह पहला मौका नहीं है जब कर्णप्रयाग क्षेत्र में भूस्खलन हुआ हो। रविवार को भी इसी क्षेत्र में भारी मलबा और एक बड़ा बोल्डर हाईवे पर आ गिरा था। उस वक्त कुछ वाहन वहां से गुजर रहे थे, लेकिन सौभाग्य से कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ और लोग बाल-बाल बच गए।
इसी तरह, कर्णप्रयाग-नेनीसैंण मोटर मार्ग पर भी भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। आईटीआई से करीब 500 मीटर आगे पहाड़ी से एक चट्टान टूटकर सड़क पर गिर गई थी, जिससे मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो गया। इस वजह से कपीरीपट्टी गांव के निवासियों को डिम्मर और सिमली होते हुए कर्णप्रयाग पहुंचना पड़ा, जिससे उनका समय और संसाधन दोनों प्रभावित हुए।
मौसम विभाग का अलर्ट: चार जिलों में भारी बारिश की चेतावनी
भूस्खलन की घटनाओं के पीछे प्रमुख कारण लगातार हो रही भारी बारिश है। मौसम विज्ञान विभाग ने उत्तराखंड के देहरादून, टिहरी, नैनीताल और चंपावत जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। इन जिलों में बिजली चमकने और तेज बौछारों के साथ भारी बारिश होने की संभावना जताई गई है।
मौसम वैज्ञानिक रोहित थपलियाल के अनुसार, अगले पांच दिनों तक प्रदेश के कई क्षेत्रों में बारिश के कई दौर देखे जा सकते हैं। खासकर पर्वतीय इलाकों में तेज बारिश और मलबा गिरने की संभावना अधिक बनी हुई है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।
राजधानी देहरादून में तापमान में उतार-चढ़ाव
देहरादून में भी मौसम ने करवट ली है। बुधवार को हल्की बारिश के बाद जब धूप निकली, तो तापमान में अचानक बढ़ोतरी दर्ज की गई। अधिकतम तापमान 34.4 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 24.3 डिग्री सेल्सियस रहा। पिछले 24 घंटों में अधिकतम तापमान में 2.5 डिग्री और न्यूनतम में 1.1 डिग्री की बढ़त दर्ज की गई।
हालांकि, बृहस्पतिवार से फिर से गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना जताई गई है। यदि बारिश होती है, तो तापमान में फिर से गिरावट आ सकती है। अनुमान लगाया जा रहा है कि अधिकतम तापमान में 1.4 डिग्री की गिरावट देखने को मिल सकती है।
प्रशासन की अपील: सतर्क रहें, अनावश्यक यात्रा से बचें
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग और जिला प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में न जाएं और बारिश के दौरान अनावश्यक यात्रा से बचें। खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में रह रहे लोगों से विशेष सतर्कता बरतने को कहा गया है। प्रशासन द्वारा संवेदनशील इलाकों की निगरानी की जा रही है और ज़रूरत पड़ने पर तुरंत रेस्क्यू टीमें सक्रिय की जाएंगी।
राज्य सरकार की ओर से भी संबंधित विभागों को अलर्ट पर रखा गया है। लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा सड़कों की सफाई और मरम्मत का कार्य तेज़ी से किया जा रहा है ताकि यातायात बहाल किया जा सके।
निष्कर्ष
कर्णप्रयाग और आसपास के क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन की घटनाएं आने वाले दिनों में और बढ़ सकती हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि स्थानीय लोग प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और किसी भी आपात स्थिति में प्रशासनिक हेल्पलाइन से संपर्क करें। सरकार और आपदा प्रबंधन टीमें हर स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, लेकिन जनसहभागिता और स
तर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है।