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उत्तराखंड की पावन भूमि केदारनाथ की यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं के लिए बुधवार का दिन एक दुखद समाचार लेकर आया। गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर जंगलचट्टी के पास एक बड़ा हादसा हुआ, जिसमें भारी मलबा गिरने से पांच लोग इसकी चपेट में आ गए। हादसा इतना भयंकर था कि दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

 

हादसा कैसे हुआ?

 

प्राप्त जानकारी के अनुसार यह घटना उस समय हुई जब कुछ लोग जंगलचट्टी के पास डंडी-कंडी सेवा में लगे हुए थे। तभी पहाड़ी से अचानक भारी भूस्खलन हुआ और चट्टानें व मलबा नीचे गिर गया, जिससे यह लोग संतुलन खोकर सीधे गहरी खाई में जा गिरे। दो लोगों की मौत घटनास्थल पर ही हो गई, जबकि अन्य तीन को गंभीर चोटें आईं।

 

मृतकों की पहचान

 

हादसे में जान गंवाने वाले दोनों व्यक्ति जम्मू के निवासी थे। वे यहां डंडी-कंडी (पालकी सेवा) का संचालन कर रहे थे और यात्रियों की सहायता कर रहे थे। यह सेवा विशेष रूप से बुजुर्ग या कमजोर यात्रियों को पालकी के ज़रिए पहाड़ पर चढ़ाने के लिए दी जाती है।

 

प्रशासन का रेस्क्यू अभियान

 

घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन और एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिवादन बल) की टीम मौके पर पहुंची। रेस्क्यू टीम ने तेजी से खाई में उतरकर घायलों को बाहर निकाला और उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ने हादसे की पुष्टि की है और बताया कि यह दुर्घटना भूस्खलन के कारण हुई, जो बीते कुछ दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश का परिणाम है।

 

मौसम विभाग की चेतावनी पहले से थी जारी

 

गौरतलब है कि उत्तराखंड में बीते कुछ दिनों से प्री-मानसून की बारिश जारी है, जिससे पहाड़ी इलाकों में जमीन खिसकने और भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। मौसम विभाग ने 19 जून के लिए पहले ही तेज गर्जना और हल्की से मध्यम बारिश का अलर्ट जारी किया था। साथ ही, पहाड़ी जिलों में भारी वर्षा को लेकर चेतावनी भी दी गई थी।

 

किस-किस इलाके में बारिश का खतरा?

 

मौसम विज्ञान केंद्र, देहरादून के अनुसार:

 

बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलों के कुछ हिस्सों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है।

 

इसके अलावा, चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और टिहरी जैसे अन्य पहाड़ी जिलों में भी तेज हवाओं और बिजली के साथ बारिश की संभावना जताई गई है।

 

मौसम विभाग ने यह भी कहा है कि 23 जून तक राज्य में मौसम का मिजाज ऐसा ही बना रह सकता है, जिससे यात्रियों और स्थानीय नागरिकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।

 

 

यात्रियों के लिए प्रशासन की अपील

 

उत्तराखंड प्रशासन और चारधाम यात्रा से जुड़े अधिकारियों ने यात्रियों से अत्यधिक सतर्कता बरतने की अपील की है। खासतौर से ऐसे इलाकों में जहां पहाड़ी ढलान हैं या भूस्खलन संभावित क्षेत्र हैं, वहां से गुजरते समय विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

 

यात्रा पर प्रभाव

 

केदारनाथ यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। लेकिन पहाड़ी रास्तों पर होने वाली दुर्घटनाएं यात्रा को बाधित कर सकती हैं। इस तरह की घटनाएं न सिर्फ मानव जीवन के लिए खतरा हैं, बल्कि यात्रा की गति को भी धीमा कर देती हैं। इस साल भी मानसून के शुरुआती प्रभाव से यात्रा में रुकावटें देखी जा रही हैं।

 

सुझाव और सावधानियाँ

 

यात्री अपने यात्रा मार्ग की पहले से जानकारी ले लें और मौसम पूर्वानुमान पर ध्यान दें।

 

प्रशासन द्वारा जारी एडवाइजरी और अलर्ट का पालन करें।

 

भारी बारिश के दौरान पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा से बचें और यदि संभव हो तो स्थानीय लोगों और गाइड्स की सलाह जरूर लें।

 

पलायन या भूस्खलन संभावित क्षेत्र में अधिक समय तक रुकने से बचें।

 

 

 

 

निष्कर्ष

 

उत्तराखंड की पहाड़ियां जितनी सुंदर हैं, उतनी ही संवेदनशील भी। ऐसे में यात्रियों और स्थानीय नागरिकों को हर मौसम में विशेष रूप से मानसून के दौरान प्राकृतिक आपदाओं से सचेत रहने की जरूरत है। गौरीकुंड-केदारनाथ मार्ग पर हुआ यह हादसा इसी ओर इशारा कर

ता है कि थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।

 

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