अमरनाथ यात्रा के दौरान शनिवार को जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में एक दर्दनाक सड़क दुर्घटना हुई, जिसने न केवल तीर्थयात्रियों बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया। यह हादसा उस समय हुआ जब तीर्थयात्रियों से भरी तीन बसें पहलगाम रूट पर चंदरकोट के लंगर स्थल के पास आपस में टकरा गईं। शुरुआती जानकारी के अनुसार, इस दुर्घटना का कारण बसों के ब्रेक फेल होना बताया गया है।
हादसे में 36 लोग घायल, कई की हालत गंभीर
दुर्घटना के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई। तीनों बसों में मौजूद यात्रियों की चीख-पुकार सुनकर स्थानीय लोग, पुलिस बल और प्रशासन की टीमें तुरंत हरकत में आ गईं। राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लाते हुए घायलों को फौरन जिला अस्पताल, रामबन में भर्ती कराया गया। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, कुल 36 श्रद्धालु इस दुर्घटना में घायल हुए हैं, जिनमें से कई की हालत चिंताजनक है। गंभीर रूप से घायलों को विशेष चिकित्सीय देखरेख में रखा गया है।
प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के दिए निर्देश
इस दर्दनाक घटना के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अमरनाथ यात्रा मार्गों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर तुरंत समीक्षा बैठक बुलाई और अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि यात्रा मार्ग पर चलने वाले सभी वाहनों की तकनीकी जांच सुनिश्चित की जाए। विशेष रूप से बसों और ट्रकों के ब्रेक सिस्टम, टायरों की स्थिति और चालक की फिटनेस की जांच को अनिवार्य किया गया है। प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि यात्रा मार्ग पर आपातकालीन मेडिकल सेवाएं और फायर एंड रेस्क्यू टीमें हर मोड़ पर तैनात रहें।
कठिन रास्ते, फिर भी भक्तों में भारी उत्साह
गौरतलब है कि इस वर्ष अमरनाथ यात्रा की शुरुआत 3 जुलाई से हुई है और इसका समापन 9 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा एवं रक्षाबंधन के दिन होगा। श्रद्धालु मुख्य रूप से दो मार्गों से बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए पवित्र गुफा तक पहुंचते हैं—पहलगाम और बालटाल। पहलगाम मार्ग अपेक्षाकृत लंबा और चुनौतीपूर्ण माना जाता है, जहां यात्रियों को चंदनवाड़ी, शेषनाग और पंचतरणी से होकर लगभग 46 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है।
हालांकि मार्ग कठिन है, फिर भी श्रद्धालुओं की आस्था और उत्साह में कोई कमी नहीं देखी जा रही। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, यात्रा के पहले दो दिनों में ही 26,800 से अधिक श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके हैं। शनिवार को जम्मू से एक और जत्था रवाना हुआ जिसमें कुल 6,979 श्रद्धालु शामिल थे।
पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की मुस्तैदी
हादसे की खबर मिलते ही रामबन पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीमें घटनास्थल पर पहुंच गईं और तत्काल राहत कार्य शुरू किया गया। फंसे हुए यात्रियों को बाहर निकाला गया और प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिला प्रशासन ने भी दुर्घटना की जांच के आदेश दिए हैं और संबंधित विभागों को 24×7 सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
भविष्य की सुरक्षा के लिए सख्त कदम
इस दुर्घटना के बाद अमरनाथ श्राइन बोर्ड, ट्रैफिक पुलिस, और जिला प्रशासन ने मिलकर कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। सभी पंजीकृत वाहनों की यात्रा से पहले तकनीकी जांच की जाएगी और ड्राइवरों के लिए विशेष हेल्थ चेकअप कैम्प लगाए जाएंगे। इसके अलावा, यात्रा के दौरान रुकने वाले लंगर स्थलों और विश्राम शिविरों के पास अतिरिक्त एम्बुलेंस और मेडिकल टीमों की तैनाती सुनिश्चित की जा रही है।
श्रद्धालुओं से प्रशासन की अपील
प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे सभी निर्धारित नियमों और दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करें। बसों या अन्य वाहनों में क्षमता से अधिक सवारी न बैठें, और अपनी यात्रा से पहले स्वास्थ्य जांच अवश्य कराएं। साथ ही, प्रशासन ने यह भी कहा है कि मौसम, मार्ग की स्थिति और सुरक्षा संबंधित किसी भी सूचना के लिए केवल अधिकृत सूत्रों पर ही भरोसा करें।
—
निष्कर्ष
अमरनाथ यात्रा जितनी आध्यात्मिक और पवित्र मानी जाती है, उतनी ही कठिन और जोखिमों से भरी भी है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना केवल प्रशासन का ही नहीं, बल्कि हर नागरिक और स्वयं यात्री की भी जिम्मेदारी है। रामबन में हुई यह दुर्घटना एक चेतावनी है कि आस्था के साथ-साथ सतर्कता भी उतनी ही जरूरी है। प्रशासन के प्रयासों के बावजूद अगर हम लापरवाह रहेंगे, तो इस तरह की घटनाएं फिर हो सकती हैं।
क्या आने वाले दिनों में हम इस यात्रा को और अधिक सुरक्षित बना पाएंगे? यह केवल सिस्टम नहीं, हमा
री सामूहिक सजगता पर निर्भर करता है।