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पंजाब-हरियाणा की सीमाओं पर स्थित पंचकूला शहर में सोमवार रात एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। एक ही परिवार के सात लोगों ने एक साथ जहर खाकर आत्महत्या कर ली। यह मामला उस समय सामने आया जब रात करीब 11 बजे पुलिस आपातकालीन सेवा डायल 112 पर एक कॉल आई कि मकान नंबर 1204 के बाहर खड़ी एक कार में कुछ लोग अचेत अवस्था में हैं।

 

सूचना मिलते ही पुलिस टीम तत्काल मौके पर पहुंची और देखा कि एक कार में कई लोग बेहोशी की हालत में थे। पुलिस ने तुरंत छह लोगों को सेक्टर-26 के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, वहीं एक अन्य व्यक्ति घर से बाहर तड़पते हुए मिला, जिसे नागरिक अस्पताल, सेक्टर-6 में ले जाया गया। हालांकि इलाज के दौरान सभी सातों लोगों की मौत हो गई।

 

पुलिस द्वारा की गई प्राथमिक जांच में मृतकों की पहचान हो गई है। इनमें परिवार के मुखिया प्रवीन मित्तल, उनके पिता देशराज मित्तल, प्रवीन की पत्नी, तीन बच्चे और एक बुजुर्ग महिला शामिल हैं। बताया जा रहा है कि पूरा परिवार मूल रूप से उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के कौलागढ़ क्षेत्र का रहने वाला था।

 

स्थानीय लोगों के अनुसार, यह परिवार पहले देहरादून के कौलागढ़ में तीन साल तक किराए पर रहा था, बाद में नींबूवाला इलाके में किराए के एक और मकान में रहने चला गया था। पड़ोस में रहने वाली राजकुमारी नौटियाल ने जानकारी दी कि यह परिवार एक सामाजिक संस्था यानी एनजीओ भी चलाता था, जो ज़रूरतमंदों की मदद के लिए काम करता था। वह परिवार शांत स्वभाव का था और किसी से ज्यादा मेलजोल नहीं रखता था।

 

डीसीपी हिमाद्रि कौशिक और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और जांच के आदेश दिए। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, प्रवीन मित्तल ने कुछ समय पहले देहरादून में एक टूर एंड ट्रैवल बिजनेस शुरू किया था। लेकिन वह व्यापार असफल रहा और उसे भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। इस घाटे के कारण परिवार पर कर्ज का बोझ बढ़ता गया और स्थिति इतनी बिगड़ गई कि दैनिक खर्चे भी पूरे नहीं हो पा रहे थे।

 

परिवार की आर्थिक तंगी के चलते मानसिक तनाव और अवसाद की स्थिति बन गई थी। माना जा रहा है कि इन्हीं कारणों ने परिवार को सामूहिक आत्महत्या जैसे कदम की ओर धकेल दिया।

 

घटना के बाद पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। पड़ोसी और जान-पहचान वाले लोग इस दुखद त्रासदी से सदमे में हैं। एक ही परिवार के इतने लोगों का यूं अचानक जाना समाज के लिए भी एक गंभीर सवाल छोड़ गया है – क्या हम समय रहते किसी के दुख और परेशानियों को समझ पा रहे हैं?

 

पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और सभी पहलुओं की गहराई से जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद यह साफ हो सकेगा कि मौत की असली वजह क्या थी और किस तरह का जहरीला पदार्थ इस्तेमाल किया गया।

 

यह घटना एक बार फिर से मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक अस्थिरता के बीच के संबंध को उजागर करती है। वर्तमान समय में जब बेरोजगारी, आर्थिक दबाव और सामाजिक अपेक्षाएं लोगों पर भारी पड़ रही हैं, ऐसे मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि लोगों को समय रहते मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर परामर्श लेने और सहायता मांगने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

 

पंचकूला की यह घटना केवल एक समाचार नहीं, बल्कि एक चेतावनी है – कि हमें अपने आसपास के लोगों की मानसिक और भावनात्मक स्थिति पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि समय रहते मदद की जाती, तो शायद इस परिवार को बचाया जा सकता था।

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