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देशभर में फर्जी डिजिटल लोन एप्स के ज़रिए करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए उत्तराखंड एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने चार्टर्ड अकाउंटेंट अभिषेक अग्रवाल को दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर लिया। वह थाईलैंड भागने की फिराक में था, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता ने उसकी योजना पर पानी फेर दिया।

 

एसटीएफ के अनुसार, अभिषेक देश छोड़ने की कोशिश कर रहा था, जबकि उसके खिलाफ पहले से ही लुक आउट सर्कुलर जारी था। उसकी गिरफ्तारी से एक ऐसे गोरखधंधे का खुलासा हुआ है, जिसमें चीनी नागरिकों की मिलीभगत से सैकड़ों करोड़ की धोखाधड़ी की गई है।

 

 

 

कैसे हुआ फ्रॉड का खुलासा?

 

जांच में सामने आया है कि अभिषेक अग्रवाल ने चीनी नागरिकों के साथ मिलकर देश में कई शेल कंपनियों की स्थापना की। इन कंपनियों के जरिए फर्जी मोबाइल लोन एप्स बनाए गए। शुरुआत में इन एप्स से आम लोगों को आसानी से छोटे-छोटे लोन दिए जाते थे, लेकिन बाद में उनसे भारी ब्याज और पेनाल्टी वसूली जाती थी। दबाव बनाने के लिए फोन पर धमकियां देना, निजी जानकारी लीक करने की धमकी देना और सोशल मीडिया पर बदनाम करने जैसे हथकंडे अपनाए जाते थे।

 

यह फ्रॉड सिर्फ तकनीकी नहीं था, बल्कि लोगों की मानसिक और सामाजिक स्थिति को भी प्रभावित करता था। हजारों पीड़ितों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्हें सामाजिक बदनामी का डर दिखाकर वसूली की जाती थी।

 

 

 

750 करोड़ रुपये की ठगी और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन

 

एसटीएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस नेटवर्क के माध्यम से अब तक करीब 750 करोड़ रुपये की ठगी की जा चुकी है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस राशि का एक बड़ा हिस्सा कथित तौर पर चीन ट्रांसफर किया गया। जांच में यह भी सामने आया कि कई शेल कंपनियों में चीनी नागरिक सह-निदेशक के रूप में शामिल थे।

 

यह पूरी योजना एक अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध नेटवर्क की तरह काम कर रही थी, जिसमें भारत में सिर्फ एग्जीक्यूशन किया जाता था, लेकिन निर्देश और तकनीकी सहायता विदेशी स्रोतों से मिलती थी।

 

 

 

गुरुग्राम तक फैला नेटवर्क और पहले से हुई गिरफ्तारियां

 

एसटीएफ ने बताया कि इस नेटवर्क का विस्तार दिल्ली-एनसीआर, खासकर गुरुग्राम तक फैला हुआ था। इससे पहले, इस केस में अंकुर ढींगरा नामक एक और आरोपी को 2023 में ही गिरफ्तार किया जा चुका है, जो अभिषेक अग्रवाल का मुख्य सहयोगी बताया गया है। दोनों ने मिलकर मिलावटी दस्तावेजों के सहारे बैंक अकाउंट्स खोले और पैसों का लेन-देन किया।

 

यह गिरोह बेहद सुनियोजित तरीके से लोगों को टारगेट करता था और डिजिटल माध्यमों का दुरुपयोग कर ठगी को अंजाम देता था।

 

 

 

एसटीएफ की टीम कर रही गहन जांच

 

एसटीएफ प्रमुख नवनीत भुल्लर ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि इस पूरे मामले की जांच के लिए तकनीकी और वित्तीय विशेषज्ञों की विशेष टीम गठित की गई है। फिलहाल पुलिस इस बात की छानबीन कर रही है कि इस नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल है, और कितना पैसा विदेश भेजा जा चुका है।

 

इसके साथ ही डिजिटल ट्रांजैक्शन्स, मोबाइल एप्स की कोडिंग, डेटा सर्वर लोकेशन और फंड ट्रांसफर चैनल्स की भी बारीकी से जांच की जा रही है।

 

 

 

डिजिटल लोन एप्स पर उठे सवाल

 

इस घटना के सामने आने के बाद देशभर में संचालित हो रहे सैकड़ों डिजिटल लोन एप्स पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। कई एप्स बिना किसी रेगुलेशन या आरबीआई की अनुमति के कार्य कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक इन एप्स पर उचित निगरानी नहीं रखी जाती, तब तक ऐसे फ्रॉड्स पर रोक लगाना मुश्किल है।

 

सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने पहले भी कई बार गैर-पंजीकृत लोन एप्स से सतर्क रहने की अपील की है, लेकिन अभाव में रह रहे लोगों को तात्कालिक जरूरत के चलते ये एप्स आसान विकल्प नजर आते हैं।

 

 

 

निष्कर्ष

 

अभिषेक अग्रवाल की गिरफ्तारी एक बड़ी सफलता है, लेकिन यह मामला केवल एक व्यक्ति की गिरफ़्तारी तक सीमित नहीं है। यह एक सुनियोजित और संगठित अंतरराष्ट्रीय फ्रॉड नेटवर्क की ओर इशारा करता है, जो भारत में डिजिटल माध्यम से आम जनता को निशाना बना रहा है।

 

अब सभी की नजरें एसटीएफ की अगली कार्यवाही पर टिकी हैं — क्या वे इस जाल में शामिल सभी सहयोगियों तक पहुंच पाएंगे? और क्या भारत सरकार

डिजिटल फाइनेंस स्पेस में मजबूत निगरानी स्थापित कर पाएगी?

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