Mussoorie ; भारत के मैदानी इलाकों में पड़ रही भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए लोग बड़ी संख्या में उत्तराखंड  की पर्वतीय नगरी मसूरी का रुख कर रहे हैं। लेकिन यह सैर-सपाटा अब पर्यटकों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। देहरादून से मसूरी की महज 35 किलोमीटर की दूरी तय करने में चार से साढ़े चार घंटे लग रहे हैं, जिससे न केवल सैलानी परेशान हैं बल्कि स्थानीय जनजीवन भी अस्त-व्यस्त हो गया है।

 

गर्मी से बचने के लिए उमड़ी भीड़, लेकिन जाम ने बिगाड़ी योजना

 

गर्मी की छुट्टियों और वीकेंड का लाभ उठाते हुए दिल्ली, एनसीआर, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब जैसे क्षेत्रों से हजारों की संख्या में पर्यटक मसूरी पहुंच रहे हैं। लेकिन देहरादून-मसूरी मार्ग पर ट्रैफिक का दबाव इस कदर बढ़ गया है कि कई जगह गाड़ियों की लंबी कतारें लगी हुई हैं। किंक्रेग से मसूरी लाइब्रेरी चौक के बीच मात्र दो किलोमीटर की दूरी को तय करने में पर्यटकों को दो से ढाई घंटे लग रहे हैं।

 

प्रशासन की शटल सेवा योजना फेल

 

पर्यटन सीजन को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने शटल सेवा शुरू करने का दावा किया था, लेकिन यह योजना धरातल पर नाकाम रही। न तो शटल बसें समय पर पहुंच रही हैं और न ही इनके संचालन में कोई स्पष्ट व्यवस्था है। यातायात व्यवस्था के लिए बनाई गई योजनाएं व्यवहारिक रूप से कारगर साबित नहीं हो रही हैं। नतीजा यह है कि सैलानी घंटों जाम में फंसे हुए हैं और पुलिस-प्रशासन के पास कोई त्वरित समाधान नहीं है।

 

अन्य पर्यटक स्थलों की स्थिति भी खराब

 

मसूरी के अलावा आसपास के अन्य लोकप्रिय स्थलों जैसे धनोल्टी, कैंपटी फॉल और यमुनोत्री मार्ग की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है। इन क्षेत्रों की ओर जाने वाले मार्गों पर भी वाहनों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। कैंपटी फॉल जाने वाला मार्ग न केवल पर्यटकों से भरा है, बल्कि इसी रूट से यमुनोत्री यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्री भी गुजरते हैं। इसके चलते इन रास्तों पर निकलने में दो घंटे तक का समय लग रहा है।

 

होटल फुल, पर्यटक परेशान

 

जैसे-जैसे पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है, मसूरी के होटल, गेस्ट हाउस और होमस्टे पूरी तरह से बुक हो चुके हैं। कई पर्यटक होटल न मिलने के कारण इधर-उधर भटकते नजर आए। कुछ को मजबूर होकर वापस लौटना पड़ा, लेकिन लौटते समय भी जाम से राहत नहीं मिली। मसूरी के लोकप्रिय स्थलों जैसे कंपनी गार्डन, गनहिल, मसूरी झील, लाल टिब्बा और माल रोड पर भी भारी भीड़ और वाहनों की लाइनें लगी हुई हैं।

 

देहरादून शहर में भी ट्रैफिक का संकट

 

ट्रैफिक जाम की समस्या केवल पहाड़ों तक सीमित नहीं है। देहरादून शहर के भीतर भी प्रमुख मार्गों पर जाम की स्थिति गंभीर बनी हुई है। हरिद्वार रोड पर जोगीवाला से अजबपुर फ्लाईओवर तक मात्र चार किलोमीटर की दूरी को तय करने में डेढ़ घंटे तक का समय लग रहा है। हाईवे से आने वाला भारी ट्रैफिक शहर की आंतरिक सड़कों पर दबाव बढ़ा रहा है, जिससे स्थानीय नागरिक भी परेशान हैं।

 

बसों की भारी कमी, लोग धूप में घंटों इंतजार करते रहे

 

देहरादून के पर्वतीय बस अड्डे पर भी मसूरी जाने के लिए पर्याप्त बसें उपलब्ध नहीं हैं। सैकड़ों पर्यटक बसों के लिए चार से पांच घंटे तक धूप में खड़े इंतजार करते देखे गए। परिवहन विभाग ने बसों की संख्या बढ़ाने की बात कही थी, लेकिन वास्तविकता यह है कि जिन बसों को भेजा गया, वे भी जाम में फंस गईं। इससे स्पष्ट है कि सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था वर्तमान पर्यटक दबाव को संभालने में पूरी तरह अक्षम है।

 

प्रबंधन की कमी ने बढ़ाई सैलानियों की मुश्किलें

 

इतनी बड़ी संख्या में पर्यटकों के आगमन के बावजूद पार्किंग और भीड़ नियंत्रण की कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं की गई है। सड़क पर गाड़ियों की लाइनें, होटल में कमरे न मिलना और बसों की अनुपलब्धता इस बात की गवाही दे रही है कि पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन की तैयारियां पूरी तरह से नाकाफी हैं।

 

निष्कर्ष: मसूरी की यात्रा बनी थकाऊ अनुभव, व्यवस्था सुधार जरूरी

 

गर्मी से राहत की उम्मीद लेकर पहाड़ों की रानी मसूरी का रुख करने वाले पर्यटकों के लिए यह यात्रा एक थकाऊ, समयखपत और असहज अनुभव बनती जा रही है। प्रशासन को चाहिए कि वह ट्रैफिक प्रबंधन, पार्किंग की सुविधा, सार्वजनिक परिवहन की उपलब्धता और होटल बुकिंग प्रणाली को तत्काल प्रभाव से सुव्यवस्थित करे। यदि शीघ्र सुधार नहीं किए गए, तो मसूरी की साख और पर्यटन उद्यो

ग पर विपरीत असर पड़ सकता है।

 

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