नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुनाव के दौरान हुए बवाल का मामला अब हाईकोर्ट की चौखट तक पहुँच गया है। अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की और डीएम तथा एसएसपी से शपथपत्र तलब किया है। हालांकि, चुनाव परिणाम की घोषणा पर फिलहाल रोक बनी हुई है। स्थिति को देखते हुए शहर में भारी पुलिस बल तैनात है और हाईकोर्ट परिसर के आसपास धारा 144 लागू की गई है।
अपहरण प्रकरण पर कड़ी टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मतदान के दिन पांच जिला पंचायत सदस्यों के कथित अपहरण को लेकर पुलिस और खुफिया एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। कोर्ट ने एसएसपी से मंगलवार तक शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया और यह जानना चाहा कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद हिस्ट्रीशीटर चुनाव स्थल तक कैसे पहुँच गए।
कांग्रेस की नई याचिका और वीडियो साक्ष्य
सुनवाई के दौरान कांग्रेस की ओर से चुनाव निरस्त करने की नई याचिका दाखिल की गई। इसके साथ ही अदालत में एक वीडियो भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें कथित तौर पर अपहृत सदस्य पार्टी करते दिख रहे थे और यह कहते सुने गए – “नैनीताल को हिला डाला, मिशन पूरा हो गया, उत्तराखंड को बिहार बना दिया।” इस वीडियो को लेकर सरकार की ओर से विधायक सुमित हृदयेश और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आपत्ति जताई।
कोर्ट के सवाल और सदस्यों की पेशी
हाईकोर्ट ने एसएसपी से पूछा कि अभी तक अपहृत सदस्यों की कॉल डिटेल क्यों नहीं निकाली गई और सक्रिय गिरोह की जानकारी एजेंसियों को क्यों नहीं मिली। बाद में पांचों सदस्य अदालत में पेश किए गए, लेकिन उनसे कोई प्रश्न नहीं किया गया।
डीएम और आयोग की स्थिति
जिलाधिकारी वंदना ने अदालत को बताया कि घटना की सूचना राज्य निर्वाचन आयोग को रात में ही दो बार भेजी गई थी। उन्होंने कहा कि जिला निर्वाचन अधिकारी के पास चुनाव रद्द करने का अधिकार नहीं है, इसलिए आयोग से परामर्श के बाद केवल अस्थायी परिणाम घोषित किए गए, जिन्हें रोक दिया गया है।
आगे की दिशा
चुनाव परिणाम घोषित होगा या नहीं, इस पर अभी असमंजस बना हुआ है। निर्वाचन आयोग कानूनी पहलुओं की जांच कर रहा है। हाईकोर्ट ने डीएम से भी शपथपत्र मांगा है। अब सभी की निगाहें अदालत के लिखित आदेश पर टिकी हुई हैं।