वाराणसी/देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वाराणसी में आयोजित मध्य क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक में भाग लेकर राज्य के विकास, पर्यावरण संरक्षण और आंतरिक सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्र सरकार से सहयोग की मांग की। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर राज्य की भौगोलिक चुनौतियों को सामने रखते हुए विकास के मार्ग में आने वाली बाधाओं को रेखांकित किया और समाधान के लिए कई नई योजनाओं और सुझावों को प्रस्तुत किया।
भौगोलिक चुनौतियों के बावजूद विकास की राह
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड का लगभग 80 प्रतिशत क्षेत्र पर्वतीय है, और 71 प्रतिशत से अधिक भूभाग वन क्षेत्र में आता है। इन प्राकृतिक और भौगोलिक सीमाओं के कारण राज्य में बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं के लिए स्थान की उपलब्धता सीमित है। फिर भी, सरकार की नीतियों और जनता के सहयोग से उत्तराखंड ने बीते वर्षों में लगातार आर्थिक प्रगति की है। राज्य की अर्थव्यवस्था में करीब डेढ़ गुना वृद्धि दर्ज की गई है, जो राज्य की क्षमता और जुझारूपन को दर्शाता है।
पर्यावरणीय संतुलन के लिए सुझाव
मुख्यमंत्री धामी ने जलवायु परिवर्तन के खतरों को लेकर चिंता जताई और राज्य के संवेदनशील पर्यावरण की रक्षा के लिए ग्लेशियर अध्ययन केंद्र की स्थापना की मांग की। उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्य होने के नाते उत्तराखंड जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को सीधे झेलता है, इसलिए यहां एक उच्च स्तरीय वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र की आवश्यकता है जो ग्लेशियरों की निगरानी, जल स्रोतों के संरक्षण और प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व चेतावनी में सहायक हो।
इसके साथ ही उन्होंने जैव विविधता संरक्षण के लिए एक विशेष संस्थान स्थापित करने का प्रस्ताव भी रखा, जिसमें केंद्र सरकार से तकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग मांगा गया।
साहसिक खेल और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की साहसिक पर्यटन क्षमता को सामने रखते हुए राज्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर का साहसिक खेल प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि पर्वतीय राज्य होने के कारण उत्तराखंड में रिवर राफ्टिंग, पर्वतारोहण, ट्रेकिंग जैसे साहसिक खेलों की असीम संभावनाएं हैं। यदि इन गतिविधियों को संस्थागत रूप से बढ़ावा दिया जाए तो इससे स्थानीय रोजगार, राजस्व, और वैश्विक पहचान दोनों में वृद्धि होगी।
बुनियादी ढांचे के लिए केंद्र से सहयोग की मांग
मुख्यमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों में संपर्क सुविधाओं को बेहतर करने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अतिरिक्त सहयोग की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि पहाड़ी इलाकों में सड़कों का निर्माण और रखरखाव चुनौतीपूर्ण होता है, और इसके लिए केंद्र से अधिक संसाधनों और तकनीकी मदद की जरूरत है।
उत्तराखंड की उपलब्धियाँ और विधायी सुधार
मुख्यमंत्री धामी ने राज्य की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया कि नीति आयोग द्वारा जारी एसडीजी रैंकिंग 2023-24 में उत्तराखंड देश में पहले स्थान पर रहा है। इसके साथ ही केयर एज रेटिंग के अनुसार उत्तराखंड को सुशासन और वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में छोटे राज्यों की श्रेणी में दूसरा स्थान मिला है।
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण विधायी कदम उठाए हैं, जिनमें समान नागरिक संहिता (UCC), मतांतरण विरोधी कानून, सख्त नकल विरोधी कानून, दंगा नियंत्रण कानून और नवीन भू-कानून शामिल हैं। इन सभी का उद्देश्य राज्य को सुरक्षित, समरस और स्थिर बनाना है।
योग, आयुर्वेद और आध्यात्मिक पर्यटन
उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां योग नीति को औपचारिक रूप से लागू किया गया है। इसके अलावा, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने दो स्प्रिचुअल इकोनॉमिक जोन (SEZ) स्थापित करने का निर्णय भी लिया है। इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि राज्य की संस्कृति और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को भी नया जीवन मिलेगा।
केंद्र सरकार के साथ बेहतर समन्वय
मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र सरकार के सहयोग से ही राज्य सरकार की योजनाएं जमीन पर उतारी जा रही हैं, और उत्तराखंड विकास की नई ऊँचाइयों को छू रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठकों ने राज्यों के बीच नीतिगत समन्वय, साझा चुनौतियों का समाधान और संयुक्त विकास को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है।
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निष्कर्ष:
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की वाराणसी में प्रस्तुत की गई यह रूपरेखा उत्तराखंड के लिए एक दूरदर्शी विकास मॉडल का संकेत देती है। भले ही राज्य को भौगोलिक सीमाएं और प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती हो, लेकिन नेतृत्व, नीति और केंद्र सरकार के सहयोग से यह हिमालयी प्रदेश सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता की दिशा में अग्रसर है।