- देहरादून। उत्तराखंड परिवहन निगम में अब 58 साल से कम उम्र के किसी भी चालक को कार्यालय में कार्य करने की अनुमति नहीं होगी, उन्हें केवल बस चलाने की ही जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। महाप्रबंधक (प्रशासन) अनिल गबर्याल ने सभी डिपो के सहायक महाप्रबंधकों और केंद्र प्रभारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 58 साल से कम उम्र के चालकों को कार्यालय में न बैठाया जाए, और उनसे बस संचालन का ही कार्य लिया जाए।
निगम में 300 से अधिक चालक-परिचालक ऐसे हैं, जिन्होंने खुद को अक्षम बताकर बसों पर ड्यूटी देना बंद कर दिया है और विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत हैं। इनकी जांच और कार्रवाई के लिए महाप्रबंधक ने अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है, जिसमें यह पूछा गया है कि अक्षम चालकों पर पहले कभी कोई कार्रवाई हुई या नहीं।
संविदा और विशेष श्रेणी के चालक कर रहे 80 प्रतिशत बस संचालन
निगम में संविदा और विशेष श्रेणी के चालकों द्वारा 80 प्रतिशत बस संचालन किया जा रहा है, जबकि नियमित चालक और परिचालक कार्यालयों में काम कर रहे हैं। संविदा चालक प्रति किलोमीटर वेतन पर कार्य करते हैं, इसलिए वे लंबी दूरी के रूटों पर बस संचालन कर रहे हैं। वहीं, नियमित चालकों को तय किलोमीटर की बाध्यता नहीं होने के कारण वे बस चलाने से बचते हुए अन्य कार्यों में लगे हुए हैं।
महाप्रबंधक ने सभी डिपो से यह भी जानकारी मांगी है कि अगस्त 2022 में दिए गए आदेशों के तहत अक्षम चालकों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है। महाप्रबंधक ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि नियमित चालक अपनी निर्धारित दूरी की ड्यूटी पूरी नहीं करते, तो संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
चालक-परिचालकों के लिए किमी की बाध्यता
परिवहन निगम ने प्रत्येक मार्ग के लिए चालक-परिचालकों के लिए किलोमीटर की न्यूनतम बाध्यता तय कर रखी है। मैदानी मार्गों पर 250 किमी, पहाड़ी मार्गों पर 175 किमी, और मिश्रित मार्गों पर 200 किमी की ड्यूटी तय की गई है। लेकिन अधिकतर नियमित चालक इस बाध्यता का पालन नहीं कर रहे, और इसके अलावा वे नियम विरुद्ध रूप से ड्यूटी रेस्ट भी ले रहे हैं। महाप्रबंधक ने इसे डिपो अधिकारियों की मिलीभगत बताया और जल्द कार्रवाई के संकेत दिए हैं।