- उत्तराखंड में अब पुरोहितों को शादी के संस्कारों की खास ट्रेनिंग दी जा रही है। इसका मकसद यह है कि जब शादी में संस्कृत मंत्र पढ़े जाएं, तो वे पूरी तरह सही और शुद्ध हों। ऐसा माना जाता है कि शादी में बोले जाने वाले मंत्रों में बहुत ताकत होती है। अगर मंत्र सही ढंग से बोले जाएं, तो वर और वधू का रिश्ता मजबूत होता है।
उत्तराखंड सरकार की संस्कृत शिक्षा विभाग ने इस दिशा में पहल की है। वे अब उन जगहों पर पुरोहितों को ट्रेनिंग दे रहे हैं, जो वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर काफी मशहूर हो चुकी हैं। इसकी शुरुआत जागेश्वर धाम से की गई है। यहां दो दिन की एक वर्कशॉप में 100 से ज्यादा पुरोहितों को विवाह संस्कार की बारीकियां सिखाई गईं।
संस्कृत शिक्षा अकादमी के सचिव डॉ. वाजश्रवा आर्य का कहना है कि विवाह में बोले जाने वाले मंत्रों का बहुत महत्व होता है। अगर संस्कृत सही न हो, तो उसका असर भी कम हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि पुरोहितों को संस्कृत भाषा का अच्छा ज्ञान हो और वे शादी के संस्कार को पूरी समझ के साथ कराएं।
अकादमी ने पहली बार ऐसा कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें सोलह संस्कारों में से विशेष रूप से विवाह संस्कार पर ध्यान दिया जा रहा है। आगे भी ऐसी ट्रेनिंग दूसरे धार्मिक स्थलों पर दी जाएगी, ताकि उत्तराखंड में होने वाली शादियां मंत्रों की शुद्धता और परंपराओं के हिसाब से और भी पवित्र और प्रभावशाली बन
सकें।