Rudraprayag;उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के जखोली ब्लॉक स्थित मखेत गांव में हाल ही में एक दर्दनाक घटना ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया। आश्रम तोक में रहने वाली 65 वर्षीय महिला, रामेश्वरी देवी पर गुलदार ने उस समय हमला कर दिया जब वह अपने घर के पास स्थित बगीचे में निराई-गुड़ाई कर रही थीं। घटना मंगवार की देर शाम की है, जब गांव की शांति अचानक हिंसा में तब्दील हो गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, महिला पर हमला इतनी तेजी से हुआ कि वह कुछ समझ ही नहीं पाईं। गुलदार ने सीधा उनकी गर्दन पर हमला किया और उन्हें घसीटते हुए पास की झाड़ियों में ले गया। यह मंजर न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे गांव के लिए सदमे जैसा था। महिला का शव उनके घर से लगभग दो सौ मीटर दूर झाड़ियों में पाया गया।
घटना की जानकारी तब सामने आई जब महिला का बेटा चंद्रशेखर दुकान से घर लौटकर मां को खोजने निकला। मां की कोई आवाज न मिलने पर उसने बुजुर्ग पिता से पूछा, जिन्होंने बताया कि वह खेत में काम कर रही हैं। जब वह खेत की ओर गया तो वहां खून के निशान देखकर उसके होश उड़ गए। उसकी आवाज सुनकर गांव के अन्य लोग भी वहां पहुंचे और खोजबीन शुरू की। कुछ ही समय में झाड़ियों में महिला का शव बरामद हुआ।
इस घटना ने ग्रामीणों के गुस्से को और भड़का दिया। ग्रामीणों का कहना है कि यह पहली घटना नहीं है। बीते 10 दिनों में यह दूसरी बार हुआ है जब गुलदार ने किसी महिला को निशाना बनाया है। इससे पहले 30 मई को डांडा गांव में रूपा देवी नामक 59 वर्षीय महिला की भी गुलदार ने खेत में काम करते समय जान ले ली थी। इसी साल 25 फरवरी को देवल गांव में भी एक बुजुर्ग महिला पर हमला हुआ था, जिसमें उनकी मौत हो गई थी।
लगातार हो रही घटनाओं के बाद भी ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग की ओर से समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। कई बार शिकायतों के बावजूद विभाग द्वारा केवल कागजी कार्रवाई तक ही सीमित रहना ग्रामीणों की नाराजगी का मुख्य कारण बना रहा।
हालांकि, इस बार विभाग ने तेजी से एक्शन लिया। घटना की सूचना मिलने के बाद वन विभाग की टीम तुरंत सक्रिय हुई और गुलदार की तलाश शुरू कर दी। देर रात एक बजे के बाद जानकारी मिली कि वन विभाग ने उस गुलदार को ढेर कर दिया जो आश्रम तोक की महिला की मौत का जिम्मेदार था। इस ऑपरेशन को अंजाम देने में वन विभाग की टीम ने साहस और सतर्कता का परिचय दिया।
वन विभाग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, लगातार हो रहे हमलों को देखते हुए गुलदार को ‘मैन ईटर’ घोषित किया गया था। इसके बाद आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी कर विभाग ने शिकारी को पकड़ने या मार गिराने का निर्णय लिया। वन अधिकारियों ने स्थानीय लोगों से भी गुलदार की गतिविधियों की जानकारी जुटाई और इलाके में निगरानी बढ़ा दी थी।
गुलदार की मौत के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है, लेकिन साथ ही यह भी मांग की कि भविष्य में ऐसे हादसे न हों, इसके लिए स्थायी समाधान किए जाएं। ग्रामीणों का कहना है कि जंगलों से लगते क्षेत्रों में इंसानों और जंगली जानवरों के बीच टकराव लगातार बढ़ रहा है। बढ़ती जनसंख्या, जंगलों में मानव दखल और भोजन की कमी जैसे कारणों से गुलदार अब गांवों तक आ रहे हैं और इंसानों को अपना शिकार बना रहे हैं।
जंगलों के समीप बसे गांवों में सुरक्षा इंतजाम, कैमरा निगरानी, जागरूकता अभियान और वन्यजीवों के लिए भोजन के प्राकृतिक स्रोत बहाल करना अब समय की आवश्यकता है। केवल एक-दो घटनाओं पर कार्रवाई करना काफी नहीं, बल्कि वन्यजीव प्रबंधन की दीर्घकालिक नीति तैयार की जानी चाहिए।
वन विभाग ने यह भी कहा है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कैमरा ट्रैप, नाइट विजन पेट्रोलिंग और स्थानीय लोगों के साथ समन्वय बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने और अकेले खेतों में न जाने की सलाह दी गई है।
इस हृदयविदारक घटना के बाद जहां एक ओर एक परिवार शोक में डूब गया, वहीं दूसरी ओर गांववालों को कुछ हद तक राहत मिली है कि मानव जीवन के लिए खतरा बना वह शिकारी गुलदार अब नहीं रहा। मगर सवाल यही है कि कब तक हम इंतज़ार करेंगे किसी हादसे का, और कब आएगी कोई स्थायी नीति जो इन खूबसूरत पहाड़ी क्षेत्रों में इंसानों और जानवरों के बीच संतुलन बना सके।