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उत्तर प्रदेश के इटावा में केदारनाथ धाम जैसी दिखने वाली एक मंदिर प्रतिकृति का निर्माण उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहितों को नागवार गुज़रा है। उनका कहना है कि इससे धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं और परंपराओं का अपमान हो रहा है।

 

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मंदिर की झलक साझा की, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा करते नजर आ रहे हैं। मंदिर को ‘केदारेश्वर महादेव’ नाम दिया गया है और इसका निर्माण लगभग पूरा हो चुका है।

 

तीर्थ पुरोहितों की आपत्ति

केदारसभा और चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने इसे धर्म और संस्कृति के साथ खिलवाड़ बताया है। उनका कहना है कि यह महज एक नकल नहीं बल्कि अस्मिता पर सीधा हमला है। विरोध में तीर्थ पुरोहितों ने उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन की चेतावनी भी दी है।

 

मंदिर समिति और महंतों की प्रतिक्रिया

श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने कानूनी रास्ता अपनाने की बात कही है। वहीं, कोटेश्वर धाम के महंत शिवानंद गिरी ने इस पूरे मुद्दे को हिंदू धर्म की नींव कमजोर करने की कोशिश बताया।

 

क्या है मंदिर का इतिहास?

इस मंदिर की नींव 2021 में रखी गई थी, और इसकी ऊंचाई केदारनाथ से बस एक इंच कम रखी गई है। 40-50 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रहे इस ढांचे में दक्षिण भारत के इंजीनियरों और वास्तु विशेषज्ञों की मदद ली गई है।

 

पहले भी उठ चुका है विवाद

इस तरह का मामला दिल्ली में भी सामने आ चुका है, जहां तीर्थ पुरोहितों के विरोध और उत्तराखंड सरकार के हस्तक्षेप के बाद निर्माण कार्य रुक गया था। उसके बाद राज्य सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि चारधाम की नकल या नाम का दुरुपयोग करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

 

क्या होगा आगे?

अब सबकी नजर उत्तराखंड सरकार पर है कि क्या वह इटावा मामले में भी वैसी ही सख्ती दिखाएगी जैसी दिल्ली में दिखाई थी।

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