रुद्रपुर में आयोजित भव्य उत्तराखंड निवेश महोत्सव के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सरकार के प्रयासों की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है, बल्कि अब आर्थिक दृष्टि से भी नई ऊंचाइयों को छू रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की नदियां देश के एक बड़े हिस्से को जीवनदायिनी जल उपलब्ध कराती हैं, इसलिए उत्तराखंड को सिर्फ एक राज्य नहीं बल्कि भारत की जीवनरेखा माना जाना चाहिए।
अपने संबोधन में उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 2023 के ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के समय उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से कहा था कि एमओयू पर हस्ताक्षर कराना भर काफी नहीं होता, असली सफलता तब मानी जाती है जब निवेश ज़मीनी स्तर पर दिखाई दे। आज एक लाख करोड़ रुपये के निवेश को धरातल पर उतारते हुए देखना, उनके अनुसार, एक बड़ी उपलब्धि है।
शाह ने कहा कि पहाड़ी राज्य होने के चलते उत्तराखंड में निवेश आकर्षित करना आसान नहीं था, लेकिन राज्य सरकार ने कठिनाइयों को पार करते हुए निवेश को धरातल तक पहुंचाया है। इस प्रक्रिया में अब तक 81,000 से अधिक युवाओं को रोजगार मिला है, जो राज्य के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।
उन्होंने उत्तराखंड राज्य आंदोलन की भी चर्चा की और आरोप लगाया कि उस समय की कांग्रेस सरकार ने आंदोलनकारियों पर दमन किया था, जबकि बीजेपी और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे नए राज्यों का गठन कर जनता की आकांक्षाओं का सम्मान किया।
कांग्रेस की नीतियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने 10 वर्षों में उत्तराखंड को 53,000 करोड़ रुपये की ही मदद दी, जबकि मोदी सरकार ने बीते 10 सालों में 1.86 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देकर राज्य के विकास को प्राथमिकता दी है।
अपने संबोधन के अंत में अमित शाह ने विश्वास जताया कि वर्ष 2027 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए उन्हें दृढ़, दूरदर्शी और विकासोन्मुखी नेता बताया।