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उतराखंड की जेलों में सुरक्षा व्यवस्था को सख्त करने के लिए जेल प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं। हाल ही में देहरादून जिला कारागार से दो खतरनाक कैदियों के फरार होने की घटना के बाद, राज्य की सभी जेलों में सुरक्षा प्रोटोकॉल को पुनः मजबूत किया जा रहा है। अब जेलों में किसी भी आयोजन के लिए पहले अनुमति लेना अनिवार्य होगा ताकि सुरक्षा में कोई चूक न हो सके।

 

यह कदम तब उठाया गया जब रोशनाबाद स्थित जिला कारागार में रामलीला मंचन के दौरान दो कैदी, जिनमें एक हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था और दूसरा अपहरण के मामले में विचाराधीन था, जेल की दीवार फांद कर फरार हो गए। उन्होंने जेल में निर्माण के दौरान इस्तेमाल होने वाली सीढ़ी का सहारा लिया और सुरक्षा में सेंध लगाते हुए भागने में सफल रहे। इस घटना के बाद जेल प्रशासन ने 10 घंटे तक पुलिस को सूचना नहीं दी, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।

 

घटना की गंभीरता को देखते हुए जेल अधीक्षक सहित छह कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। अब उच्च स्तरीय जांच की जा रही है, और सभी जेलों में सुरक्षा को लेकर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। सोमवार को इस मामले पर एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें जेलों की सुरक्षा से जुड़े सभी पहलुओं पर गहन चर्चा हुई।

 

इसके अलावा, जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों का रहना भी एक बड़ी चुनौती बन गया है। उत्तराखंड की जेलों में वर्तमान स्वीकृत क्षमता 3541 कैदियों की है, जबकि वहां 5928 कैदी रह रहे हैं। जिला कारागार देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी और सितारगंज की जेलों में दोगुने से अधिक कैदी बंद हैं, जिनमें कई खतरनाक अपराधी भी शामिल हैं।

 

प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है कि ऐसे खतरनाक कैदियों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी और किसी भी आयोजन या गतिविधि के लिए पूर्व अनुमति अनिवार्य होगी।

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