उत्तराखंड को वर्ष 2021 में केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत 203 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की थी। योजना का उद्देश्य था कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकले पानी का पुनः उपयोग सड़क की सफाई, निर्माण और अन्य शहरी उपयोगों में किया जाए। लेकिन योजना के तीन साल बीतने के बावजूद अभी तक राज्य में इसका कोई प्रभावी कार्यान्वयन नहीं हो सका है।
ज़मीन पर नहीं उतरी योजना, रिपोर्टों तक सीमित प्रगति
शहरी विकास विभाग द्वारा अब तक न तो कोई निर्माण आरंभ किया गया है, न ही किसी पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई है। विकास सिर्फ कागजों तक सिमटा रहा है। अब तक पेयजल निगम द्वारा केवल आठ शहरों के लिए छह विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की गई हैं, जिनकी कुल अनुमानित लागत 151.41 करोड़ रुपये बताई गई है।
2026 है अंतिम वर्ष, लेकिन तैयारी अधूरी
स्वच्छ भारत मिशन 2.0 की समयसीमा वर्ष 2026 तय की गई है, लेकिन कार्यकाल का अधिकांश समय बीत चुका है। प्रयुक्त जल के पुनः उपयोग जैसे महत्वपूर्ण कार्य पर कोई भी ठोस पहल न होना गंभीर चिंता का विषय है। यह संकेत करता है कि राज्य सरकार इस योजना को लेकर गंभीर नहीं रही है।
पैसा और योजना मौजूद, कमी सिर्फ इच्छाशक्ति की
जब केंद्र सरकार द्वारा धनराशि और मार्गदर्शन दोनों ही उपलब्ध करा दिए गए, तब क्रियान्वयन में हो रही देरी राज्य की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है। यह योजना सिर्फ पर्यावरण संरक्षण नहीं बल्कि स्वच्छता व जल संरक्षण के लिहाज से भी अहम है। यदि शीघ्र कदम नहीं उठाए गए तो यह एक बड़ी चूक
मानी जाएगी।