उत्तराखंड में निराश्रित गोवंशीय पशुओं की समस्या के समाधान के लिए सरकार ने कसी कमर
उत्तराखंड में सड़कों पर घूम रहे निराश्रित गोवंशीय पशुओं की बढ़ती समस्या को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने इसके निराकरण के लिए ठोस कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने मंगलवार को सचिवालय में उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करते हुए गोसदनों के निर्माण और संचालन से संबंधित प्रगति की समीक्षा की। बैठक में यह निर्देश दिया गया कि प्रस्तावित 62 गोसदनों का निर्माण शीघ्र पूरा किया जाए, ताकि निराश्रित गोवंशीय पशुओं को सुरक्षित आश्रय मिल सके।
निराश्रित पशुओं की संख्या और वर्तमान स्थिति
मुख्य सचिव को अवगत कराया गया कि वर्तमान में राज्य में 20,887 निराश्रित गोवंशीय पशु हैं। इनमें से 14,848 पशु सरकार से मान्यता प्राप्त आश्रय स्थलों में रखे गए हैं। पिछले वर्ष 2,134 निराश्रित पशुओं को गोसदनों में भेजा गया था। जिला स्तर पर आंकड़ों के अनुसार पौड़ी में सबसे अधिक 5,525 निराश्रित पशु हैं, जबकि पिथौरागढ़ में सबसे कम 24 पशु दर्ज किए गए हैं।
निर्माणाधीन गोसदनों की प्रगति
शहरी विकास विभाग ने अब तक 36 गोसदनों के लिए भूमि चिह्नित की है, जिनमें से 13 गोसदनों का निर्माण कार्य जारी है। पंचायतीराज विभाग को 26 गोसदनों का निर्माण करना है, जिसके लिए 10 करोड़ रुपये की धनराशि भी जारी की जा चुकी है।
गोवंशीय पशुओं के लिए तकनीकी समाधान
मुख्य सचिव ने गोवंशीय पशुओं की समस्या के दीर्घकालीन समाधान के लिए आधुनिक तकनीक के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने सभी निराश्रित गोवंशीय पशुओं की अनिवार्य जियो-टैगिंग सुनिश्चित करने और जल्द ही लांच होने वाले एप व डैशबोर्ड पर उनकी विस्तृत जानकारी अपलोड करने के निर्देश दिए।
गोसेवक योजना का विस्तार और निगरानी
मुख्य सचिव ने गोसेवक योजना को प्रभावी बनाते हुए इसका दायरा बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने निर्माणाधीन और संचालित गोसदनों की नियमित निगरानी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही गोसदनों में चारा, पानी, चिकित्सा और प्रकाश जैसी सुविधाओं की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने की बात कही।
निराश्रित गोवंशीय पशुओं की गोद लेने की प्रोत्साहन योजना
राज्य सरकार ने गोवंशीय पशुओं को गोद लेने वालों को प्रतिदिन 80 रुपये प्रति पशु का मानदेय देने की योजना बनाई है, जो अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है। मुख्य सचिव ने नगर निकायों को निर्देश दिए कि वे सड़कों पर घूम रहे निराश्रित गोवंश की मासिक समीक्षा करें और उन्हें गोसदनों में भेजने की प्रक्रिया को तेज करें।
जिलेवार निराश्रित गोवंश की संख्या
जिला | संख्या |
---|---|
पौड़ी | 5,525 |
ऊधम सिंह नगर | 4,955 |
टिहरी | 2,259 |
नैनीताल | 2,155 |
देहरादून | 2,050 |
अल्मोड़ा | 1,536 |
हरिद्वार | 803 |
चंपावत | 708 |
चमोली | 360 |
उत्तरकाशी | 359 |
रुद्रप्रयाग | 106 |
बागेश्वर | 47 |
पिथौरागढ़ | 24 |
राज्य सरकार के इन प्रयासों से उम्मीद है कि निराश्रित गोवंशीय पशुओं की समस्या का समाधान शीघ्र ही संभव होगा।