पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपनी व्यापार नीति को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने बांग्लादेश और पाकिस्तान को टैरिफ (शुल्क) में छूट दी है, लेकिन भारत पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इस फैसले को लेकर भारत के पड़ोसी देश जहां इसे अपनी “डिप्लोमैटिक जीत” बता रहे हैं, वहीं जानकार इसे एक बड़ी रणनीति का हिस्सा मानते हैं – जिसमें भारत की वैश्विक भूमिका और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियां भी शामिल हैं।
बांग्लादेश को बड़ी राहत
अमेरिका और बांग्लादेश के बीच हुए एक व्यापारिक समझौते में बांग्लादेश पर लगने वाला टैरिफ 35% से घटाकर 20% कर दिया गया है। बांग्लादेश सरकार ने इसे “ऐतिहासिक समझौता” कहा है। बांग्लादेश ने हाल ही में अमेरिका से गेहूं, एलएनजी और विमान खरीदने पर भी सहमति जताई है, जिससे अमेरिका को भी आर्थिक लाभ होगा।
पाकिस्तान को तेल सौदे के बाद छूट
पाकिस्तान को भी अमेरिका की ओर से टैरिफ में 10% की छूट मिली है। इसकी वजह हाल ही में हुई एक क्रूड ऑयल डील है, जिसके तहत अमेरिका ने पाकिस्तान को पहली बार एक मिलियन बैरल कच्चा तेल बेचा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह डील अमेरिका की रणनीतिक जरूरतों और पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति से जुड़ी है।
भारत के लिए सख्त रुख – क्यों?
भारत को अमेरिका की कुछ व्यापारिक मांगों, खासकर कृषि और डेयरी क्षेत्र में, छूट देने से इनकार करना महंगा पड़ा है। ट्रंप प्रशासन भारत को “टैरिफ किंग” कहकर आलोचना करता रहा है और अब उसके पड़ोसी देशों को छूट देकर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।
‘नया भारत’ और अमेरिका की बेचैनी
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र की भूमिका निभाई है। भारत अब दबाव में झुकने वाला देश नहीं रहा और केवल समानता पर आधारित समझौतों को ही मंजूरी देता है। यही अमेरिका की चिंता का कारण है।
निष्कर्ष
ट्रंप की नीति केवल व्यापार तक सीमित नहीं है – यह एक भू-राजनीतिक चाल भी है। भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और आत्मनिर्भरता को संतुलित करने के लिए अमेरिका अब उसके पड़ोसियों को साधने की रणनीति अपना रहा है। सवाल यह है कि क्या इससे भारत झुकेगा या अपनी
नीति पर कायम रहेगा?