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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का लागू होना अब नजदीक है। 18 अक्टूबर 2024 को विशेषज्ञ समिति ने यूसीसी के नियमावली का अंतिम ड्राफ्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया है। यह ऐतिहासिक कदम राज्य में सभी समुदायों को समान अधिकार देने की दिशा में उठाया गया है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “यूसीसी से हर व्यक्ति को समान न्याय और अवसर प्राप्त होंगे, यह समाज के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय है।”
**नौ नवंबर को यूसीसी लागू करने की तैयारी**
उत्तराखंड सरकार की योजना है कि 9 नवंबर 2024, राज्य के स्थापना दिवस पर यूसीसी को लागू किया जाए। समिति ने नियमावली का फाइनल ड्राफ्ट सौंपकर इस दिशा में अंतिम चरण पूरा कर लिया है, जिससे संभावना है कि सरकार 9 नवंबर को इसे लागू कर देगी।
**यूसीसी के मुख्य बिंदु**
समान नागरिक संहिता के तहत मुख्य रूप से चार क्षेत्रों को कवर किया गया है:
1. विवाह एवं विवाह-विच्छेद (तलाक)
2. लिव-इन रिलेशनशिप
3. जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण
4. उत्तराधिकार से संबंधित नियम
**सभी सूचनाएं ऑनलाइन उपलब्ध**
सुविधा की दृष्टि से एक पोर्टल और मोबाइल ऐप तैयार किया गया है, जहां पंजीकरण, अपील और अन्य सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन की जा सकेंगी। यह जनता के लिए एक बड़ा कदम है, जिससे समस्त जानकारी डिजिटल रूप से सुलभ होगी।
**घोषणा से लागू होने तक का सफर**
– 12 फरवरी 2022 को विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम धामी ने यूसीसी लागू करने की घोषणा की।
– मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन हुआ।
– समिति ने 20 लाख सुझाव प्राप्त किए और 2.50 लाख लोगों से सीधा संवाद किया।
– फरवरी 2024 में समिति ने ड्राफ्ट मुख्यमंत्री को सौंपा, और फरवरी 2024 में यूसीसी विधेयक को विधानसभा से मंजूरी मिली।
– मार्च 2024 में राष्ट्रपति ने विधेयक को अपनी मंजूरी दी।
– 18 अक्टूबर 2024 को राज्य सरकार को नियमावली सौंप दी गई।
**यूसीसी लागू होने के बाद संभावित बदलाव**
– विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए सभी धर्मों में एक समान कानून होगा।
– 26 मार्च 2010 के बाद के सभी विवाहों और तलाक का पंजीकरण अनिवार्य होगा।
– पंजीकरण न कराने पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा और सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है।
– लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष होगी।
– महिलाएं भी पुरुषों के समान आधारों पर तलाक की अर्जी दे सकेंगी।
– हलाला और इद्दत जैसी प्रथाएं समाप्त होंगी।
– बिना सहमति के धर्म परिवर्तन पर पीड़ित व्यक्ति को तलाक और गुजारा भत्ता का अधिकार होगा।
– एक पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह करना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा।
– संपत्ति में बेटा और बेटी दोनों को समान अधिकार होंगे।
– लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा, और उनके बच्चों को जायज संतान माना जाएगा।
**लिव-इन में भी होंगे कड़े नियम**
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा। बिना पंजीकरण के किराये पर घर या पीजी नहीं मिलेगा। इसके अलावा, लिव-इन से पैदा हुए बच्चों को जैविक संतान के अधिकार प्राप्त होंगे। अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर 6 महीने की कैद या 25,000 रुपये जुर्माना या दोनों का प्रावधान रखा गया है।
उत्तराखंड में यूसीसी का लागू होना देश के लिए एक मिसाल साबित हो सकता है, जो सभी नागरिकों को समान अधिकार और न्याय सुनिश्चित करेगा।