रुड़की (उत्तराखंड)। शहर के सिविल अस्पताल की इमरजेंसी यूनिट सोमवार देर रात उस समय तनाव और अफरा-तफरी का केंद्र बन गई, जब एक सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को मृत घोषित किए जाने के बाद उसके परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। एक परिजन ने अस्पताल के फर्नीचर को नुकसान पहुंचाने के साथ ही मौजूद डॉक्टर पर हमला भी किया, जिससे अस्पताल कर्मियों और मरीजों में भय और भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई।
हादसे के बाद अस्पताल पहुंचा था घायल, डॉक्टरों ने मृत घोषित किया
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अरविंद कुमार मिश्रा ने बताया कि सोमवार की रात एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल युवक को अस्पताल की इमरजेंसी यूनिट में लाया गया था। डॉ. एजाज द्वारा की गई जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया। निर्धारित प्रक्रिया के तहत शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।
परिजन का उग्र रूप, अस्पताल में की तोड़फोड़
लेकिन जैसे ही मृतक का एक परिजन अस्पताल पहुंचा और उसे मृतक के निधन की जानकारी मिली, वह अपना आपा खो बैठा। गुस्से में आकर उसने इमरजेंसी यूनिट की कुर्सियां उठाकर फेंक दीं, शीशों को तोड़ दिया और वहां उपस्थित डॉ. एजाज के साथ मारपीट कर दी। अचानक हुई इस घटना से इमरजेंसी वार्ड में अफरातफरी मच गई और अस्पताल का पूरा स्टाफ सकते में आ गया।
डॉक्टर और स्टाफ में रोष, सुरक्षा पर सवाल
घटना के बाद अस्पताल के चिकित्सा अधिकारियों और कर्मचारियों में गहरा आक्रोश है। स्टाफ ने इस हमले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यदि ऐसी घटनाओं को रोका नहीं गया, तो चिकित्सकों की सुरक्षा और मरीजों की सेवा दोनों पर संकट उत्पन्न हो सकता है। कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से गंगनहर कोतवाली पहुंचकर आरोपी के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई और कड़ी कार्रवाई की मांग की।
डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों की सेवा करते हुए यदि उन्हें हिंसा का सामना करना पड़े तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक स्थिति है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यदि आने वाले दिनों में अस्पताल परिसर में सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ नहीं की गई, तो वे काम बंद करने जैसे कड़े कदम उठाने को मजबूर होंगे।
पुलिस ने दर्ज किया मामला, आरोपी की तलाश जारी
इस पूरी घटना को देखते हुए गंगनहर थाना पुलिस ने संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है और आरोपी की तलाश शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पूरे घटनाक्रम की CCTV फुटेज खंगाली जा रही है और आरोपी की पहचान सुनिश्चित की जा चुकी है। जल्द ही उसकी गिरफ्तारी की जाएगी।
कई सवाल खड़े करती है यह घटना
यह घटना न सिर्फ एक असामान्य घटना है, बल्कि यह सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था और डॉक्टरों की कार्यस्थल पर सुरक्षा को लेकर भी कई गंभीर सवाल उठाती है। चिकित्सा सेवाएं समाज की एक अत्यंत आवश्यक और संवेदनशील सेवा हैं, और यदि इन्हें भी हमले और उत्पीड़न से नहीं बचाया जा सका तो यह समूचे स्वास्थ्य तंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।
डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार की बढ़ती घटनाएं
देशभर में पिछले कुछ वर्षों में चिकित्सकों के साथ दुर्व्यवहार, मारपीट और धमकी जैसी घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। ऐसे मामलों में कई बार मरीजों की मृत्यु के बाद भावनाएं आक्रोश में बदल जाती हैं और लोग अस्पतालों में तोड़फोड़ या स्टाफ पर हमले कर बैठते हैं। लेकिन यह भी उतना ही आवश्यक है कि ऐसे मामलों में कानून सख्ती से अपना काम करे ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं रोकी जा सकें।
चिकित्सा संस्थानों को चाहिए सशक्त सुरक्षा प्रबंध
रुड़की सिविल अस्पताल की घटना इस बात का प्रमाण है कि अस्पतालों को आपातकालीन सुरक्षा प्रबंधन की सख्त जरूरत है। न सिर्फ सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, बल्कि इमरजेंसी वार्डों में CCTV निगरानी, मेटल डिटेक्टर और तत्काल प्रतिक्रिया दल जैसी व्यवस्थाएं भी लागू की जानी चाहिए।
निष्कर्ष
रुड़की का यह मामला एक बार फिर दर्शाता है कि चिकित्सा संस्थानों में काम कर रहे डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ कितने जोखिम में काम करते हैं। प्रशासन को इस घटना से सबक लेते हुए न केवल सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में कार्य करना चाहिए, बल्कि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे मामलों में दोषियों को कठोर सजा मिले, ताकि दूसरों के लिए यह एक नजीर बन सके।
अभी अस्पताल प्रशासन और पुलिस मिलकर मामले की तह तक जाने का प्रयास कर रहे हैं, और आशा की जा रही है कि जल्द ही दोषी कानून की गिरफ्त में होगा।