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उत्तराखंड सरकार शहरी स्वच्छता व्यवस्था को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए तकनीकी साधनों का सहारा ले रही है। अब डोर-टू-डोर कूड़ा एकत्रीकरण प्रणाली को डिजिटल ट्रैकिंग और निगरानी से जोड़ा जा रहा है, जिससे न केवल सफाई व्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि आम नागरिकों को भी साफ-सुथरा वातावरण मिलेगा।

 

यह पहल स्वच्छ भारत मिशन के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने और नगर निकायों की कार्यप्रणाली को अधिक उत्तरदायी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

 

 

 

डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण प्रणाली में तकनीकी हस्तक्षेप

 

डोर-टू-डोर कूड़ा एकत्रीकरण सेवा लंबे समय से लागू है, लेकिन अब इसे तकनीकी रूप से सशक्त बनाया जा रहा है। इसके तहत हर कूड़ा उठाने वाले वाहन में GPS सिस्टम लगाया जा रहा है, जिससे यह पता लगाया जा सकेगा कि वाहन निर्धारित रूट पर चल रहा है या नहीं।

 

इसके अलावा, कलेक्शन पॉइंट्स पर RFID टैगिंग और मोबाइल ऐप के ज़रिए डेटा एंट्री की व्यवस्था की जा रही है। इससे हर घर या दुकान से कचरा उठाने का रिकॉर्ड रियल टाइम में ट्रैक किया जा सकेगा। संबंधित अधिकारी मोबाइल या कंप्यूटर स्क्रीन पर ही देख सकेंगे कि कौन-सा वाहन किस स्थान पर पहुंचा और कितने स्थानों से कूड़ा उठाया गया।

 

 

 

पारदर्शिता और जवाबदेही की ओर एक कदम

 

यह पूरी प्रणाली सफाई व्यवस्था में पारदर्शिता लाने और जवाबदेही तय करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। पहले यह शिकायत आम थी कि कूड़ा उठाने वाले वाहन वार्डों में अनियमित रूप से आते हैं या कई स्थानों पर जाते ही नहीं। अब जब सबकुछ डिजिटल ट्रैकिंग से जुड़ा होगा, तो इन शिकायतों की गुंजाइश काफी हद तक खत्म हो जाएगी।

 

हर वार्ड में तय समय और रूट के अनुसार कूड़ा उठाना अनिवार्य किया जाएगा। यदि कोई वाहन किसी स्थान पर नहीं पहुंचा, तो उसकी सूचना तुरंत अधिकारियों को मिल जाएगी, जिससे समय पर कार्रवाई की जा सकेगी।

 

 

 

शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता को मिलेगा नया बल

 

इस निगरानी प्रणाली से शहरी स्वच्छता व्यवस्था को नया बल मिलेगा। जब सफाई व्यवस्था सुचारु रूप से चलेगी, तो कूड़ा-कचरा सड़कों और गलियों में नहीं बिखरेगा। इससे ना केवल सफाई में सुधार होगा, बल्कि बीमारियों पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा।

 

इसके साथ ही, कचरे के वैज्ञानिक निस्तारण की प्रक्रिया भी तेज़ होगी। अलग-अलग प्रकार के कचरे को अलग-अलग इकाइयों तक पहुँचाया जाएगा, जिससे रिसाइक्लिंग और वेस्ट मैनेजमेंट को बढ़ावा मिलेगा।

 

 

 

जनभागीदारी से ही बनेगा स्वच्छ उत्तराखंड

 

सरकार के प्रयास तभी सफल होंगे, जब जनता भी इसमें सक्रिय भागीदारी निभाएगी। नागरिकों को भी अपने घरों से कचरे को अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर देना होगा – जैसे कि गीला कचरा, सूखा कचरा और बायोमेडिकल वेस्ट। इससे न केवल वाहन चालक को कचरा प्रबंधन में सहूलियत मिलेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान होगा।

 

नगर निकायों द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, ताकि लोग अपने घरों से कूड़ा अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर दें और समय पर वाहन को कूड़ा सौंपें।

 

 

 

निगरानी से सुधरेगा सफाई सिस्टम

 

निगरानी प्रणाली के आने से नगर निकायों की कार्यप्रणाली में अनुशासन आएगा। अधिकारी रूट मैप, वाहन मूवमेंट और दैनिक कूड़ा संग्रहण की रिपोर्ट एक ही सिस्टम में देख सकेंगे। इससे किसी भी प्रकार की अनियमितता पर तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी।

 

अब यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि हर वाहन तय समय पर, तय रूट पर चलता है या नहीं, और सभी वार्डों से नियमित रूप से कचरा उठाया जा रहा है या नहीं।

 

 

 

निष्कर्ष: एक सकारात्मक और आधुनिक पहल

 

उत्तराखंड सरकार की यह पहल शहरी सफाई व्यवस्था को न केवल तकनीकी रूप से सशक्त बनाएगी, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही की मिसाल भी पेश करेगी। इससे न केवल शहरों की सुंदरता में वृद्धि होगी, बल्कि नागरिकों का स्वास्थ्य और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।

 

डोर-टू-डोर कूड़ा एकत्रीकरण की यह उन्नत प्रणाली भविष्य में अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकती है। यह आधुनिक और सतत विकास की दिशा में एक अहम कदम है, जो उत्तराखंड को स्वच्छ और स्मार्ट राज्य बनाने की दिशा में सहायक सिद्ध होगा।

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