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उत्तराखंड में लगातार बढ़ते साइबर अपराधों पर रोक लगाने के लिए सरकार ने नई पहल की है। पुलिस विभाग ने शासन को प्रस्ताव भेजा है, जिसके तहत जल्द ही हरिद्वार और नैनीताल में साइबर थाने स्थापित किए जाएंगे। फिलहाल प्रदेश में केवल देहरादून और ऊधमसिंहनगर (रुद्रपुर) में ही साइबर थाने मौजूद हैं।

 

पहले चरण में दो जिले

 

भविष्य में सभी जिलों में साइबर थाना खोलने की योजना है, लेकिन शुरुआत हरिद्वार और नैनीताल से होगी। इन जिलों में मामलों की संख्या और गंभीरता को देखते हुए इन्हें प्राथमिकता दी गई है। बाद में अन्य जिलों में भी जरूरत के आधार पर साइबर थाने खोले जाएंगे।

 

पुलिस के सामने बड़ी चुनौती

 

पिछले कुछ वर्षों में साइबर ठगी के मामले तेज़ी से बढ़े हैं। मौजूदा साइबर थानों में स्टाफ की कमी है, जिससे ठगों की गिरफ्तारी तो हो रही है लेकिन पीड़ितों की रकम की रिकवरी सीमित रह जाती है।

 

ठगी के आंकड़े

 

2021: 11.4 करोड़ की ठगी, 1.18 करोड़ रिकवर

 

2022: 40 करोड़ की ठगी, 2.44 करोड़ रिकवर

 

2023: 69 करोड़ की ठगी, 7.31 करोड़ रिकवर

 

2024: 167 करोड़ की ठगी, 29.51 करोड़ रिकवर

 

2025 (जुलाई तक): 84 करोड़ की ठगी, 12.08 करोड़ रिकवर

 

 

ये आंकड़े दिखाते हैं कि कार्रवाई तो हो रही है, लेकिन पीड़ितों की रकम वापस दिलाने में सफलता बेहद कम है।

 

साइबर सेल की स्थिति

 

प्रदेश के हर जिले में साइबर सेल है, लेकिन अक्सर इनकी भूमिका सिर्फ शिकायत दर्ज करने तक सीमित रह जाती है। कई बार यहां तैनात अधिकारियों को मेले, कानून-व्यवस्था और धरना-प्रदर्शन जैसे अन्य कार्यों में भी लगा दिया जाता है।

 

नई उम्मीद

 

हरिद्वार और नैनीताल में साइबर थानों की स्थापना से उम्मीद है कि बढ़ते साइबर अपराधों पर नियंत्रण होगा

और पीड़ितों को राहत मिल सकेगी।

 

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