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दयारा बुग्याल के संरक्षण के लिए वन विभाग की पहल

राज्य के प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) डॉ. धनंजय मोहन और भागीरथी वृत्त के वन संरक्षक धर्म सिंह मीणा ने हाल ही में दयारा बुग्याल का भ्रमण कर यह घोषणा की कि बुग्यालों में बढ़ते भूस्खलन और भू-धंसाव को रोकने के लिए एक व्यापक योजना बनाई जाएगी। विभाग ने इस समस्या को हल करने के लिए जियो जूट के उपयोग से भूस्खलन और भू-धंसाव के घावों को भरने का निर्णय लिया है। इस प्रक्रिया के तहत बुग्यालों के संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष उपाय किए जाएंगे।

बुग्याल संरक्षण के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार होगी

वन विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि बुग्यालों के संरक्षण के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की जाएगी, ताकि बुग्यालों में होने वाले प्राकृतिक और मानवीय कारणों से होने वाली समस्याओं को प्रभावी ढंग से रोका जा सके। दयारा बुग्याल सहित राज्य के अन्य बुग्यालों में भी इन उपायों को लागू किया जाएगा। इसके साथ ही, उच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों का पालन भी सुनिश्चित किया जाएगा।

22 बुग्यालों में 83 हेक्टेयर क्षेत्र में काम हुआ है

पीसीसीएफ ने यह बताया कि बुग्याल संरक्षण योजना के तहत अब तक 22 बुग्यालों में लगभग 83 हेक्टेयर क्षेत्र में काम किया जा चुका है। इन बुग्यालों में जैविक दबाव को कम करने के लिए कई उपाय किए गए हैं। जल्द ही, इन कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक SOP तैयार की जाएगी।

वनाग्नि नियंत्रण के लिए तैयारियाँ तेज़

पीसीसीएफ ने वनाग्नि के खतरे को देखते हुए फायर सीजन से पूर्व ही पूरी तैयारी करने की बात कही। दयारा बुग्याल की स्थिति पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि हाल ही में रिपोर्ट में बुग्याल में घास की परतों के उधड़ने, भूस्खलन और भू-धंसाव की गंभीर समस्या सामने आई थी। इसके बाद वन विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बुग्याल के संरक्षण के लिए कदम उठाए हैं।

हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र की स्थापना

इस दौरान, डॉ. धनंजय मोहन ने गंगोत्री के निकट लंका में निर्माणाधीन हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र का भी निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि केंद्र की नींव का काम पूरा हो चुका है और अगले एक साल में यह केंद्र तैयार हो जाएगा। यह केंद्र क्षेत्र की अद्भुत प्राकृतिक धरोहर से पर्यटकों को परिचित कराएगा।

गंगोत्री नेशनल पार्क: ट्रांस हिमालयन पार्क के रूप में उभरा

गंगोत्री नेशनल पार्क अब एक दशक में ट्रांस हिमालयन नेशनल पार्क के रूप में उभरा है। वन्य जीव संस्थान द्वारा किए गए आंकलन में इस क्षेत्र में हिम तेंदुओं की अच्छी संख्या भी देखी गई है। पहले जिन जगहों के बारे में लोग अनजान थे, अब धीरे-धीरे पर्यटन स्थल के रूप में उभर रही हैं, जैसे नेलांग घाटी, जहाँ पर्यटक सफारी के लिए पहुंच रहे हैं।

इस प्रकार, वन विभाग द्वारा उठाए गए इन महत्वपूर्ण कदमों से राज्य के बुग्यालों और वन्य जीवों के संरक्षण में एक नई दिशा मिल रही है।

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