उत्तराखंड सरकार ने राज्य में बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण और स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक बड़ा निर्णय लिया है। सरकार अब हाइब्रिड वाहनों पर पंजीकरण के समय लगने वाले वन टाइम टैक्स में छूट देगी। साथ ही पुराने वाहनों को स्क्रैप कर यदि कोई नागरिक नया इलेक्ट्रिक, सीएनजी या बीएस-VI मानकों पर आधारित वाहन खरीदता है, तो उसे मिलने वाली सब्सिडी अब सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी।
यह फैसला मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई हालिया कैबिनेट बैठक में लिया गया। इस नीति का उद्देश्य स्वच्छ और हरित परिवहन को प्रोत्साहित करना है ताकि राज्य की वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके और लोग आधुनिक, ईंधन-कुशल तकनीकों को अपनाएं।
पहले देहरादून, फिर पूरे राज्य में लागू
राज्य सरकार की नई नीति ‘स्वच्छता परिवर्तन गतिशीलता नीति’ के तहत अब ‘सिंगल नोडल एजेंसी’ (SNA) अकाउंट की व्यवस्था लागू की जाएगी। पहले लाभार्थियों को सब्सिडी पाने के लिए एस्क्रो अकाउंट की बाध्यता थी, जिससे समय पर सहायता नहीं मिल पा रही थी। अब नई व्यवस्था से प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सरल हो जाएगी। योजना को पहले देहरादून में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जाएगा, इसके बाद इसे पूरे राज्य में विस्तार दिया जाएगा।
हाइब्रिड वाहनों की संख्या बढ़ाने का प्रयास
राज्य सरकार को उम्मीद है कि टैक्स में दी गई राहत के बाद उत्तराखंड में हाइब्रिड वाहनों की खरीदारी में तेजी आएगी। वर्तमान में राज्य में सिर्फ 750 हाइब्रिड वाहन पंजीकृत हैं, जबकि अन्य राज्यों में टैक्स छूट और प्रोत्साहन योजनाओं की वजह से इनकी संख्या काफी अधिक है।
हाइब्रिड वाहन पर्यावरण के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित माने जाते हैं क्योंकि ये पेट्रोल और बैटरी दोनों से चलते हैं। इससे न सिर्फ ईंधन की बचत होती है, बल्कि कार्बन उत्सर्जन भी कम होता है।
स्क्रैप नीति से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं
नई नीति के अंतर्गत पुराने वाहनों को स्क्रैप करने पर वाहन मालिकों को नई सीएनजी या वैकल्पिक ईंधन वाले वाहनों की खरीद पर 40 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी। यह सब्सिडी अधिकतम ₹15 लाख तक सीमित होगी। इसके लिए वाहन मालिकों को स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट और वैध परमिट प्रस्तुत करना होगा।
इस योजना के तहत राज्य के विक्रम (तीन पहिया ऑटो रिक्शा) संचालकों को भी शामिल किया गया है। विक्रम को ओमनी बस में परिवर्तित करने पर उन्हें ₹3.5 लाख तक की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। यह कदम खासतौर से शहरी परिवहन व्यवस्था को अधिक स्वच्छ और सुरक्षित बनाने की दिशा में है।
परिवहन क्षेत्र में हरित बदलाव की ओर
सरकार का मानना है कि ये प्रोत्साहन योजनाएं न केवल नागरिकों को पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करेंगी, बल्कि राज्य की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को भी आधुनिक बनाएंगी।
उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में प्रदूषण एक गंभीर चुनौती है, जहां सीमित संसाधनों और नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के कारण किसी भी प्रकार का उत्सर्जन सीधे पर्यावरण को प्रभावित करता है। ऐसे में स्वच्छ ऊर्जा और हरित वाहन प्रणाली को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक हो जाता है।
टैक्स छूट से लोगों को राहत
वन टाइम टैक्स में दी गई छूट आम नागरिकों को हाइब्रिड वाहनों की ओर आकर्षित करेगी। मौजूदा समय में ऐसे वाहन अभी भी कई लोगों के लिए महंगे विकल्प हैं। टैक्स में छूट और सब्सिडी के माध्यम से सरकार ने आम जनता को आर्थिक रूप से राहत देने का प्रयास किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस योजना को सुचारु रूप से लागू किया गया तो उत्तराखंड आने वाले वर्षों में पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अग्रणी राज्यों में शामिल हो सकता है।
निष्कर्ष
सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम न केवल हरित तकनीकों को बढ़ावा देगा, बल्कि नागरिकों को भी यह समझाने में सफल हो सकता है कि प्रदूषण नियंत्रण सिर्फ सरकारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज की भी सामूहिक भागीदारी से संभव है। स्वच्छ वाहनों की संख्या में इजाफा राज्य की हवा को साफ करेगा, लोगों के स्वास्थ्य में सुधार लाएगा और उत्तराखंड को एक स्थायी विकास के रास्ते पर अग्रसर करेगा।





