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Uttarakhand : देहरादून। उत्तराखंड में मानसून ने पूरी तरह से दस्तक दे दी है और कई जिलों में भारी बारिश के चलते सड़कें बाधित होने, भूस्खलन और अन्य नुकसान की खबरें सामने आ रही हैं। ऐसे समय में आगामी पंचायत चुनावों की तैयारियां भी जोर पकड़ रही हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि मौसम की इस चुनौतीपूर्ण स्थिति के बीच चुनाव प्रक्रिया को किसी भी हाल में प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।

 

प्रदेश में पंचायत चुनाव दो चरणों में संपन्न होने हैं। पहला चरण 24 जुलाई और दूसरा चरण 28 जुलाई को प्रस्तावित है। वहीं, मौसम विभाग ने भी आगामी दिनों के लिए भारी बारिश के अलर्ट जारी किए हैं, जिससे चुनाव आयोजन को लेकर प्रशासनिक चुनौतियां बढ़ गई हैं। ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग और आपदा प्रबंधन विभाग ने संयुक्त रूप से एक व्यापक रणनीति तैयार की है ताकि मतदान से जुड़ी सभी गतिविधियां समयबद्ध और सुरक्षित तरीके से संपन्न हो सकें।

 

मौसम और भूगोल बना बड़ी चुनौती

 

उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियां और मानसून की तीव्रता को देखते हुए यह आशंका जताई जा रही है कि दूरस्थ और पहाड़ी इलाकों में पोलिंग पार्टियों और चुनाव सामग्री को पहुंचाना मुश्किल हो सकता है। कई मार्गों पर भूस्खलन और मलबा आने से आवागमन पहले से ही बाधित है। इन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए निर्वाचन आयोग ने जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे आपदा प्रबंधन से समन्वय बनाकर विस्तृत कार्य योजना तैयार करें।

 

हेलिकॉप्टर भी रहेंगे तैनात

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर आपात स्थिति में सहायता के लिए दो हेलिकॉप्टर पहले से ही स्टैंडबाय मोड में रखे गए हैं। यदि कहीं सड़क मार्ग पूरी तरह बंद हो जाता है या पोलिंग पार्टियों का समय पर पहुंचना असंभव हो जाता है, तो इन हेलिकॉप्टरों का उपयोग किया जाएगा। हालांकि निर्वाचन आयोग की ओर से अभी तक शासन को हेलिकॉप्टर उपयोग के लिए औपचारिक प्रस्ताव नहीं भेजा गया है, लेकिन जरूरत पड़ने पर यह विकल्प तुरंत सक्रिय किया जाएगा।

 

7 जुलाई को होगी अहम बैठक

 

राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने-अपने जिलों की आपदा स्थिति, संसाधनों और तैयारियों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें। 7 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है, जिसमें सभी जिले अपनी स्थिति से अवगत कराएंगे। इन रिपोर्टों के आधार पर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मतदान दलों, सुरक्षा बलों और जरूरी सामग्री की समय पर और सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित हो सके।

 

मौसम अपडेट पर लगातार नजर

 

चुनाव आयोग की टीम मौसम विभाग से निरंतर संपर्क में है। मानसून की गंभीरता को देखते हुए आयोग हर घंटे की अपडेट ले रहा है और उसी अनुसार निर्णय ले रहा है। कई इलाकों में ऐसे स्थान चिह्नित किए जा रहे हैं जहाँ अत्यधिक बारिश या भूस्खलन की संभावना है। इन क्षेत्रों में पहले से वैकल्पिक मार्ग और व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है।

 

एकजुट प्रयास से निर्विघ्न चुनाव का लक्ष्य

 

निर्वाचन आयोग और आपदा प्रबंधन विभाग दोनों ही मिलकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्रदेश के किसी भी हिस्से में मतदान बाधित न हो। प्रशासन का मानना है कि मतदाता का लोकतांत्रिक अधिकार सर्वोपरि है और किसी भी आपदा या मौसम की स्थिति को उसे प्रभावित नहीं करने दिया जाएगा।

 

आपदा प्रबंधन विभाग ने भी राज्य के सभी जिलों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं और स्थानीय प्रशासन से तालमेल बनाकर तैयारी रखने को कहा है। आवश्यक मशीनरी, राहत सामग्री और आपात सेवाएं भी पहले से तैनात की जा रही हैं ताकि किसी भी आकस्मिक परिस्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके।

 

 

 

निष्कर्ष:

 

उत्तराखंड में इस बार पंचायत चुनाव एक नई चुनौती के साथ सामने आ रहे हैं—प्राकृतिक आपदाओं की आशंका। लेकिन प्रशासन और निर्वाचन आयोग मिलकर इन कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हेलिकॉप्टर से लेकर राहत टीमों तक हर संसाधन का उपयोग किया जाएगा ताकि लोकतंत्र का पर्व हर गांव और हर नागरिक तक सुरक्षित

और शांतिपूर्ण तरीके से पहुंचे।

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