उत्तराखंड पुलिस विभाग में तैनात एक महिला कांस्टेबल ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है। पीड़िता का आरोप है कि विभाग में कार्यरत एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने उसका शोषण किया। जब उसने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई और उच्चाधिकारियों से शिकायत की, तो उसकी बात को नजरअंदाज कर दिया गया।
महिला कांस्टेबल का कहना है कि न्याय मांगने पर उसे ही जेल भेज दिया गया और मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया गया। जेल से रिहा होने के बाद भी उसका उत्पीड़न बंद नहीं हुआ। पुलिस विभाग के कुछ अधिकारी उसके घर आकर उसे डराने और चुप रहने की धमकी देने लगे।
पीड़िता ने पुलिस महानिदेशक समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार अपनी परेशानी बताई, लेकिन किसी ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
अब थक-हारकर महिला कांस्टेबल ने राष्ट्रपति से गुहार लगाई है कि या तो दोषी अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, या फिर उसे इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए, ताकि वह इस लगातार मिल रही पीड़ा से मुक्त हो सके।