Uttrakhand :उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले से एक भावुक और इंसानियत को झकझोर देने वाली खबर सामने आई है। आज सुबह श्रीनगर-कर्णप्रयाग बस अड्डे पर एक युवा महिला ने शौचालय में अचानक एक नवजात शिशु को जन्म दे दिया। गनीमत रही कि समय पर मौजूद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने तत्परता दिखाते हुए मां और बच्चे दोनों की जान बचा ली।

 

यह घटना रविवार सुबह करीब 9 बजे की बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार, नेपाली मूल की 21 वर्षीय ज्योति थापा अपने परिवार के साथ बस से यात्रा कर रही थीं। ज्योति के पति मनीष थापा और परिवार के अन्य सदस्य कर्णप्रयाग के ब्राडीसेन क्षेत्र में मजदूरी का काम करते हैं और इस दिन हिमाचल प्रदेश की ओर रोजगार के लिए निकले थे। बस कुछ देर के लिए श्रीनगर-कर्णप्रयाग बस अड्डे पर रुकी थी।

 

जैसे ही बस रुकी, ज्योति शौचालय गईं। थोड़ी ही देर में वहां से जोर-जोर से चीखने की आवाजें आने लगीं। पहले तो लोगों को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन आवाजें तेज होने पर वहां मौजूद यात्रियों और ज्योति के परिवार ने दौड़कर शौचालय की ओर रुख किया।

 

हालत की गंभीरता को समझते हुए बस अड्डे पर तैनात आईएसबीटी हेल्थ यूनिट की टीम को तुरंत सूचना दी गई। स्वास्थ्य विभाग की टीम में मौजूद चिकित्सक और फार्मासिस्ट ने बिना देर किए मौके पर पहुंचकर महिला की मदद शुरू कर दी। टीम के सदस्यों ने अपनी सूझबूझ से तुरंत प्राथमिक चिकित्सा दी और प्रसव की प्रक्रिया को संभाला।

 

कुछ ही मिनटों में महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। प्रसव के बाद मां और नवजात की हालत काफी नाजुक थी, इसलिए उन्हें तुरंत 108 एंबुलेंस सेवा के माध्यम से राजकीय जिला चिकित्सालय श्रीनगर भेजा गया। वहां डॉक्टरों की टीम ने दोनों की जांच की और राहत की बात यह रही कि मां और बच्चा दोनों ही अब खतरे से बाहर हैं और स्थिर हैं।

 

स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि इस तरह की घटनाओं में त्वरित निर्णय और सही प्राथमिक उपचार ही जीवन रक्षक साबित होते हैं। “हमारी टीम की तत्परता और सही समय पर पहुंच ने दो जिंदगियां बचा लीं। यह हमारे लिए एक संतोषजनक अनुभव रहा,” अधिकारी ने बताया।

 

स्थानीय लोगों ने भी स्वास्थ्य कर्मियों की जमकर सराहना की। बस अड्डे पर मौजूद यात्रियों ने कहा कि अगर थोड़ी भी देर हो जाती, तो हालात बिगड़ सकते थे। महिला की स्थिति इतनी गंभीर थी कि शौचालय में अकेले रहना खतरनाक हो सकता था, लेकिन सौभाग्यवश मौके पर मदद मिल गई।

 

ज्योति थापा का परिवार इस अप्रत्याशित घटना से भावुक भी है और आभारी भी। उनके पति मनीष ने कहा, “हमने कभी सोचा नहीं था कि सफर के बीच ऐसा कुछ होगा। भगवान और इन डॉक्टरों की मदद से मेरी पत्नी और बच्चे की जान बच गई।”

 

यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि अगर सार्वजनिक स्थानों पर चिकित्सा सुविधाएं सुलभ और सक्रिय हों, तो आपात स्थिति में अमूल्य जीवन बचाया जा सकता है। राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगाए गए मोबाइल हेल्थ यूनिट्स और आईएसबीटी स्वास्थ्य सेवाएं इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो रही हैं।

 

इस पूरी घटना ने यात्रियों को भी संवेदनशील बना दिया है। कई लोगों ने आगे आकर मदद की और महिला के परिवार को सहयोग दिया। कुछ महिलाओं ने तुरंत कपड़े और आवश्यक वस्तुएं जुटाने में मदद की।

 

इस घटना से क्या सीख मिलती है?

 

1. प्रसूता महिलाओं की यात्रा से पहले जांच जरूरी है – गर्भवती महिलाओं को लंबी यात्रा से पहले चिकित्सकीय सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

 

 

2. सार्वजनिक स्थलों पर प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं अनिवार्य हैं – इससे किसी भी आकस्मिक परिस्थिति से निपटना संभव हो पाता है।

 

 

3. सामाजिक सहयोग भी जीवन रक्षक बन सकता है – यात्रियों और आम जनता की संवेदनशीलता ऐसे समय में बहुत मायने रखती है।

 

 

 

ज्योति और उनका नवजात अब अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में हैं और पूरी तरह से सुरक्षित हैं। भविष्य में उन्हें नियमित जांच और देखभाल की आवश्यकता होगी, ताकि मां और बच्चे दोनों स्वस्थ रहें।

 

यह घटना उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और उनकी तत्परता

का एक सकारात्मक उदाहरण बन गई है।

Share.
Leave A Reply

Live Almora

Stay connected with Live Almora – your trusted source for local news, events, and updates from Almora and across Uttarakhand. Real stories, real voices, right from the hills.

Contact Us-  
Aryan Sharma
Kalli mitti gaon
Thano road
Raipur dehradun
Phone – 91934 28304

Exit mobile version