Uttrakhand ;उत्तराखंड सरकार की एक महत्वपूर्ण मंत्रिमंडलीय बैठक बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आयोजित होने जा रही है। यह बैठक राज्य सचिवालय में होने की संभावना है, जिसमें कई अहम विभागों से जुड़े प्रस्तावों पर गहन चर्चा की जाएगी। खास बात यह है कि इस बार बैठक में ऊर्जा क्षेत्र को लेकर कई बड़े और दूरगामी निर्णय लिए जा सकते हैं। राज्य सरकार ग्रीन हाइड्रोजन और जियो थर्मल एनर्जी को लेकर तैयार की गई नीतियों को अंतिम मंजूरी दे सकती है।
प्रदेश में आर्थिक विकास की दिशा में यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि इसमें ऊर्जा, नियोजन, वित्त, राजस्व, आवास और कार्मिक विभाग जैसे मुख्य क्षेत्रों से जुड़े प्रस्तावों को रखा जाएगा। जानकारों का कहना है कि यदि प्रस्तावों को कैबिनेट की स्वीकृति मिलती है, तो राज्य को न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में बल मिलेगा, बल्कि निवेश और पर्यावरण के क्षेत्र में भी मजबूती मिलेगी।
ग्रीन हाइड्रोजन नीति पर मुहर संभव
बैठक में ग्रीन हाइड्रोजन नीति को अंतिम रूप देने की संभावना है। ग्रीन हाइड्रोजन को भविष्य की ऊर्जा के रूप में देखा जा रहा है। यह स्वच्छ ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी मददगार साबित हो सकता है। उत्तराखंड सरकार इस नीति के ज़रिए प्रदेश में निवेश को आकर्षित करना चाहती है। विशेषकर ऐसे निवेशकों को जो स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा में रुचि रखते हैं। इसके तहत राज्य में हाइड्रोजन उत्पादन प्लांट्स स्थापित करने, भूमि आवंटन, बिजली दरों में छूट और अन्य प्रोत्साहनों पर भी निर्णय हो सकता है।
जियो थर्मल एनर्जी पर नीति तैयार
उत्तराखंड प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर राज्य है। विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्र में तापीय ऊर्जा की अच्छी संभावना है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने जियो थर्मल एनर्जी नीति का प्रारूप तैयार किया है, जिस पर मंत्रिमंडल की मुहर लग सकती है। जियो थर्मल ऊर्जा एक ऐसी ऊर्जा है, जो धरती के भीतर के ताप से उत्पन्न होती है। यह सतत, सस्ती और पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। नीति लागू होने के बाद राज्य में वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग बढ़ेगा और ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में नया अध्याय जुड़ सकता है।
वित्त और नियोजन से जुड़े अहम प्रस्ताव
बैठक में वित्त विभाग से जुड़े कई तकनीकी और प्रशासनिक प्रस्तावों पर भी विचार किया जाएगा। राज्य की मौजूदा वित्तीय स्थिति, बजट प्रबंधन, राजस्व वसूली की स्थिति और आगामी योजनाओं के लिए फंडिंग को लेकर रणनीति बनाई जा सकती है। नियोजन विभाग की ओर से नई विकास योजनाओं के अनुमोदन, पुरानी योजनाओं की समीक्षा और संसाधनों के बेहतर उपयोग पर भी विचार किया जाएगा।
कार्मिक विभाग से जुड़े फैसले
बैठक में कार्मिक विभाग से जुड़े मुद्दों पर भी विचार हो सकता है। इनमें सरकारी कर्मचारियों के सेवा नियम, पदोन्नति, स्थानांतरण नीति में संशोधन और नई नियुक्तियों के प्रस्ताव शामिल हैं। साथ ही, कुछ विभागों में रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया को भी तेज करने पर चर्चा संभव है।
आवास और शहरी विकास पर चर्चा
आवास विभाग की ओर से शहरी क्षेत्रों में जन सुविधाओं के विकास, आवास योजनाओं की प्रगति और प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत लंबित कार्यों की समीक्षा की जा सकती है। साथ ही, नए आवासीय परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए नीति बदलाव या प्रक्रिया सरलीकरण के प्रस्ताव पर भी विचार हो सकता है।
राजस्व विभाग के एजेंडे में भू-अधिकार और डिजिटल रिकॉर्ड
राजस्व विभाग की ओर से भू-अधिकारों, भूमि की रजिस्ट्री प्रक्रिया में सुधार और डिजिटल भूमि रिकॉर्ड को लेकर भी प्रस्ताव पेश हो सकते हैं। सरकार का प्रयास है कि भूमि से जुड़े मामलों में पारदर्शिता बढ़ाई जाए और विवादों को कम किया जाए।
निवेश बढ़ाने और रोज़गार सृजन पर जोर
सभी विभागों के प्रस्तावों का एक मुख्य उद्देश्य राज्य में निवेश को आकर्षित करना और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित करना है। विशेषकर ऊर्जा और औद्योगिक नीति से यह अपेक्षा की जा रही है कि राज्य में युवाओं के लिए नए रोजगार सामने आएंगे।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में होने वाली यह कैबिनेट बैठक कई मायनों में अहम साबित हो सकती है। यदि ऊर्जा क्षेत्र की नीतियों को मंजूरी मिलती है, तो यह न केवल राज्य को स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ाएगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास के नए रास्ते भी खोलेगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किन प्रस्तावों को हरी झंडी देती है और किन नए फैसलों से प्रदेश का भविष्य तय होता है।