Uttrakhand ; दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने हाल ही में उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों – श्री केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम – के दर्शन कर धार्मिक आस्था का उदाहरण प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री बनने के बाद यह उनकी पहली आध्यात्मिक यात्रा थी, जिसे उन्होंने बाबा केदारनाथ और भगवान बदरीविशाल के चरणों में जाकर विशेष बनाते हुए अपनी श्रद्धा अर्पित की।
रेखा गुप्ता ने न सिर्फ भगवान शिव के रूप में पूजनीय बाबा केदारनाथ के दर्शन किए, बल्कि केदारपुरी के प्रमुख स्थलों की यात्रा कर वहां के आध्यात्मिक व ऐतिहासिक महत्व को भी समझा। इसके अतिरिक्त, उन्होंने भगवान विष्णु के दिव्य धाम बद्रीनाथ मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना की और देश की सुख-शांति की कामना की।
इस यात्रा के साथ रेखा गुप्ता दिल्ली की पहली मुख्यमंत्री बन गई हैं, जो उत्तराखंड के गठन (वर्ष 2000) के बाद केदारनाथ धाम की यात्रा पर पहुंचीं। इससे पूर्व वर्ष 1994 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. मदनलाल खुराना ने केदारनाथ की यात्रा की थी। उस समय यह क्षेत्र अविभाजित उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था।
आध्यात्मिकता और नेतृत्व का संगम
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की यह यात्रा धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ जनमानस से जुड़ाव की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस यात्रा के दौरान उन्होंने केदारपुरी में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि बाबा केदार का धाम न सिर्फ श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, धैर्य और पुनर्निर्माण की जीवंत मिसाल भी है।
तीर्थ पुरोहित श्री श्रीनिवास पोस्ती ने जानकारी दी कि केदारनाथ धाम का ऐतिहासिक महत्व भारत के धार्मिक परिदृश्य में अत्यंत विशेष है। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद से लेकर अब तक देश के कई प्रमुख नेताओं, अधिकारियों, और प्रसिद्ध हस्तियों ने बाबा केदार के चरणों में शीश नवाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस परंपरा को निभाते आए हैं। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद से अब तक वह छह बार केदारनाथ धाम के दर्शन कर चुके हैं। उनसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी भी दो बार इस पवित्र धाम में दर्शन के लिए पहुंची थीं।
श्रद्धालुओं का निरंतर प्रवाह
केदारनाथ यात्रा हर वर्ष अप्रैल-मई से लेकर अक्तूबर-नवंबर तक चलती है। इस अवधि में लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से बाबा केदार के दर्शनों के लिए उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में स्थित इस धाम में पहुंचते हैं। यह यात्रा न केवल धार्मिक है, बल्कि साहसिकता और श्रद्धा का अद्वितीय संगम भी है।
इस यात्रा के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं में आम जन के साथ-साथ राजनीति, खेल, फिल्म, उद्योग, साहित्य और लोकसंस्कृति से जुड़ी अनेक जानी-मानी हस्तियां भी शामिल रहती हैं। बाबा केदार की अलौकिक महिमा और केदारपुरी की भव्यता इन सभी को अपनी ओर खींच लाती है।
26 वर्षों का अंतर
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की यह यात्रा इसलिए भी विशेष है क्योंकि 1998 के बाद से यह पहला अवसर है, जब दिल्ली का कोई मुख्यमंत्री केदारनाथ धाम की यात्रा पर गया है। इससे पहले वर्ष 1993 से 1996 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे स्व. मदनलाल खुराना ने इस पवित्र यात्रा को पूरा किया था। इसके बाद लगभग 26 वर्षों तक दिल्ली के किसी भी मुख्यमंत्री द्वारा यह यात्रा नहीं की गई।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस ऐतिहासिक रिक्तता को समाप्त करते हुए आस्था और नेतृत्व का एक नया अध्याय जोड़ा है। उनकी यह यात्रा धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।
धार्मिक स्थलों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता
इस यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाओं की भी सराहना की। उन्होंने यात्रा मार्ग, स्वास्थ्य सुविधाएं, आपातकालीन सेवाएं और पर्यावरण संरक्षण को लेकर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी ली और इन्हें बेहतर बनाने के सुझाव भी दिए।
मुख्यमंत्री का यह कदम धार्मिक स्थलों के प्रति सरकारी दृष्टिकोण और संवेदनशीलता को उजागर करता है। साथ ही यह संकेत भी देता है कि आध्यात्मिक धरोहरों की रक्षा और विकास के लिए राजनीतिक नेतृत्व कितना गंभीर हो सकता है।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की केदारनाथ और बद्रीनाथ यात्रा न केवल उनकी व्यक्तिगत श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह समूचे दिल्लीवासियों के लिए गौरव का विषय भी है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि राजनीति और आध्यात्मिकता एक-दूसरे के पूरक बन सकते हैं, बशर्ते नेतृत्व में सेवा, श्रद्धा और समर्पण की भावना हो। इस यात्रा ने केदारनाथ धाम से जुड़े इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है
, जिसे लंबे समय तक याद किया जाएगा।