हरियाणा के पंचकूला में मित्तल परिवार की सामूहिक आत्महत्या के मामले ने एक और पहलू को उजागर किया है। प्रवीण मित्तल ने अपने मित्र गंभीर सिंह नेगी के नाम पर एक कार खरीदी थी, जो उनके विश्वास और दोस्ती का प्रतीक थी। नेगी ने बताया कि उनकी मित्तल से मुलाकात एक एनजीओ में कार्य करते समय हुई थी और तब से दोनों के बीच पारिवारिक संबंध बन गए थे।
मित्तल ने नेगी से कार फाइनेंस कराने का आग्रह किया था और आश्वासन दिया था कि वह समय पर किस्त चुकाते रहेंगे। नेगी ने बताया कि मित्तल ने चार वर्षों तक गूगल पे के माध्यम से सभी किश्तें भरीं, लेकिन दो महीने पहले से किस्तों का भुगतान रुक गया था। नेगी आज भी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि मित्तल ने इतना कठोर कदम क्यों उठाया।
नेगी ने बताया कि मित्तल एनजीओ चलाते थे, लेकिन उनके अन्य व्यवसायों या गतिविधियों की जानकारी उनके पास नहीं थी। यह घटना उनके लिए भावनात्मक आघात है, क्योंकि इस घटना के पीछे की वास्तविक पीड़ा और परिस्थिति अभी भी रहस्य बनी हुई है। नेगी का कहना है कि वह अभी भी विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि उनका विश्वासपात्र मित्र आत्महत्या जैसा कदम उठा सकता है।
इस घटना ने दोस्ती और भरोसे के महत्व को फिर से उजागर किया है और यह भी दिखाया है कि कैसे कभी-कभी परिस्थितियाँ हमारे नियंत्रण से बाहर हो सकती हैं।